देश भारत संसार के देशों का ससरमौर है। यह प्रकृतत की पुण्य लीलास्थली है। मााँभारत के ससर पर हहमालय मुकुट के
समान शोभायमान है। गंगा तथा यमुना इसके गले के हार हैं। दक्षिण में हहदं महासागर भारत माता के चरणों को तनरंतर
धोता रहता है। इस देश की उर्वरा धरती अन्न के रूप में सोना उगलती है। संसार में केर्ल यही एक देश हैजहााँषड्ऋतुओं का
आगमन होता है, गंगा, यमुना, सतलुज, व्यास, गोमती, गोदार्री, कृष्णा, कार्ेरी अनेक ऐसी नहदयााँहैंजो अपने अमतृ -जल से
इस देश की धरती की प्यास शांत करती हैं। हमारा प्यारा देश 'वर्श्र् गुरु' रहा है। यहााँकी कला, ज्ञान-वर्ज्ञान, ज्योततष,
आयुर्ेद संसार के प्रकाशदाता रहे हैं। यह देश ऋवष-मुतनयों, धमव-प्रर्तवकों तथा महान कवर्यों ने बनाया है। त्याग हमारे देश का
सदैर् से मूल मंत्र रहा है। जजसने त्याग ककया, र्ही महान कहलाया। बुद्ध, महार्ीर, दधीचच, रंततदेर्, राजा सशवर्, रामकृष्ण
परमहंस, गांधी इत्याहद महान वर्भूततयााँइसका जीता-जागता प्रमाण हैं। भारत पर प्रकृतत की वर्शेष कृपा है। यहााँपर खतनज
पदाथों का पयावप्त भंडार है। अपनी अपार संपदा के कारण ही इसे 'सोने की चचड़िया' की संज्ञा दी गई है। धन-संपदा के कारण
ही हमारा देश वर्देशी आक्रमणकाररयों के सलए वर्शेष आकषवण का कें द्र रहा है।
१.उपयुवक्त गद्यांश का उचचत शीषवक दीजजए।
२.भारत को संसार के देशों का ससरमौर क्यों कहा जा सकता है?
३.भारत देश का मूल मंत्र क्या है?
४.भारत को सोने की चचड़िया' की संज्ञा क्यों दी गई?
५.गद्यांश से कोई दो योजक शब्द प्रयुक्त शब्दों का चयन कीजजए।
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१. भारत देश
२. देश भारत संसार के देशों का ससरमौर है। यह प्रकृतत की पुण्य लीलास्थली है।
३. त्याग हमारे देश का सदैर् से मूल मंत्र रहा है।
४. अपनी अपार संपदा के कारण इसे 'सोने की चचड़िया' की संज्ञा दी गई है।
५. ..........
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