Hindi, asked by Regaltosh, 9 months ago

"दिशाहीन विद्यार्थी " पर 100 शब्दौ का निबंध लिखो​

Answers

Answered by rohitbhhattach42
0

Explanation:

Answers

युवाओं की छवि हमेशा से आक्रामक रही है। उन्हें उत्तेजक, फुर्तीला, बागी मिजाज माना जाता रहा है। युवा पीढ़ी एक राष्ट्र की रीढ़ होती है। उनका मनोबल, उनकी क्षमताएं, उनका साहस असीम है। युवाओं के इस जोशीले अंदाज का फायदा समाज को हमेशा ही आंदोलन, युद्धभूमि, देश को विकसित करने की राह पर मिला। विश्व में किसी भी युद्ध का इतिहास उठाकर देखें तो युद्ध में युवाओं के कारण ही जीत का परचम लहरा पाया है। भारत में आजादी के वक्त युवाओं ने अहम रोल निभाया था। भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू जैसे अनेक युवाओं के कारण ही भारत को आजादी मिल पाई। विश्व में कई ऐसे युवा संगठन रहे हैं जिन्होंने अपने देशों में बदलाव लाने में बड़ी भूमिका अदा की। भारत में नेताजी की यूथ ब्रिगेड, यहूदी युवा आंदोलन, इंडोनेशिया आंदोलन 1998, दिल्ली निर्भया आंदोलन जैसे अनेक आंदोलनों ने विश्व में अपनी छाप छोड़ी है।

भारत में युवाओं की स्थिति थोड़ी अजीब है। युवाओं को जो पदास्थान राजनीतिक, शौक्षिक, सामाजिक तौर पर मिलना चाहिए था वह उससे अछूते हैं। ऐसी स्थिति विश्व के कई देशों में देखने को मिल रही है। युवाओं की इच्छाओं को दबोच दिया जाता है, उनकी प्राथमिकताओं को परे रख दिया जाता है, उनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाए जा रहे हैं इसीलिए आज कल विश्वभर के युवाओं ने आंदोलनों का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इन सभी निराशाओं के चलते आज की युवा पीढ़ी असंतोष से भरती जा रही है। असंतोष का कीड़ा बचपन से ही एक बच्चे के दिल में पनपने लगा है। हार के डर से, इच्छाओं के पूरे न होने के डर से, दबाए जाने के डर से उनकी मनोस्थिति कुछ इस प्रकार की बन रही है कि वह हर कार्य को नकारात्मक रूप से देखने लगे हैं। यह असंतोष उनके जीवन में चरम सीमा पर पहुंचने को तैयार बैठा है, उनकी मनोभावनाएं होती हैं कि “मैं 90 प्रतिशत लाकर भी थोड़े और अंक नहीं ला पाया, जेब में हजारों रुपये होते हुए भी मैं मजे नहीं कर पाया, मैं सुंदर तो हूं लेकिन फलां जैसी गोरी नहीं, मेरी नौकरी तो मल्टीनेशनल कंपनी में लग गई लेकिन प्रिविलेजेस थोड़े कम हैं।”यह असंतोष नामक कीड़ा चरमबद्ध होकर आज की युवा पीढ़ी को भीतर ही भीतर खाए जा रहा है फिर चाहे वह युवा किसी भी देश का क्यूं न हो। इसके परिणाम केवल नुकसानदेह हैं जो हमें युवाओं में जलन, अवसाद, आपराधिक लक्षणों के तौर पर देखने को मिल रहे हैं। युवाओं में इन नकारात्मक भावनाओं का कुसूरवार भी कोई और नहीं बल्कि आज के हमारे संसार की कूटनीतिक सच्चाई है।

HOPE IT HELPS....!

PLEASE FOLLOW ME......,

Similar questions