'दिशाहीन विद्यार्थी शीर्षक पर 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। it's urgent
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आज की युवा पीढ़ी सौंदर्य को लेकर सदैव भ्रमित रही है। उनके अनुसार सौंदर्य वह है जो बाह्य है अर्थात अच्छा खान-पान, रहन-सहन दिखावा ही है। आधुनिक सभ्यता की पुजारी युवा पीढ़ी की सौंदर्य के प्रति सोच और चाह ही तो आधुनिक सभ्यता है। सौंदर्य के लिए फैशन करता विद्यार्थी दिशाहीन हो रहा है। वो अपना अधिकतर समय फैशन से युक्त कार्यक्रम और पत्र-पत्रिका पढ़ने में लगाते हैं। विद्यार्थियों में बढ़ रहा फैशन का चलन उनकी उज्ज्वल भविष्य के लिए उचित नहीं है। ऐसा न हो कि स्वयं को बनाने में इतना व्यस्त हो जाए कि शिक्षा को भूल जाए। वास्तविकता यह है कि वह अपनी हीन भावना से ऊपर उठने के लिए बाह्य सौंदर्य को अपनाना चाहता है। चाहे यह भावना शैक्षणिक हो, आर्थिक हो या सामाजिक हो।समय की मांग नहीं होता फैशनहर दौर अपने साथ एक चलन लेकर चलता है, जिसे फैशन कहते हैं। लेकिन न तो फैशन को आधुनिकता का पर्याय माना जा सकता है और न ही इसकी अंधी लहर में बहना उचित होता हैं। फैशन समय की मांग नहीं होता लेकिन युवा पीढ़ी की राय इससे विपरीत है। उन्हें लगता है कि फैशन के अनुसार अगर वह नहीं चले तो उन्हें उनके समकक्षों की तुलना में कमतर माना जाएगा। 'सादा जीवन उच्च विचार' उक्ति पर किसी का ध्यान नहीं जाता। कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने 'नकल का निकम्मापन' नामक अपने लेख में लिखा हैं, 'नकल करके वस्त्रों के आयोजन और यत्न में लगे रहने से बढ़कर मूर्खतापूर्ण कार्य मुझे दिखाई नहीं देता।'
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