देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें ॥धृ॥
सूरज हमें रौशनी देता, हवा नया जीवन देती है ।
भूख मिटने को हम सबकी, धरती पर होती खेती है ।
औरों का भी हित हो जिसमें, हम ऐसा कुछ करना सीखें ॥१॥
गरमी की तपती दुपहर में, पेड़ सदा देते हैं छाया ।
सुमन सुगंध सदा देते हैं, हम सबको फूलों की माला ।
त्यागी तरुओं के जीवन से, हम परहित कुछ करना सीखें ॥२॥
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Answer:
h
Explanation:
hame Hawa ko pradooshit nhi karna chahiye aur
ped lagane chahiye jissse hamari Hawa pradooshit na ho aur hame har cheez ko recycle kar chahiye jisse hamare aas paas kachra nhi hoga aur sea oceans maile nhi honge
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उपर्युक्त पद्य का अर्थ
"देश हमें देता है, सब कुछ" में कवि का 'सब कुछ ' देने से आशय है ।जीवन के लिए उपयोगी उन सभी वस्तुओं से है जिनके बिना हम खुशहाल एवं तनाव मुक्त जीवन व्यतीत नहीं कर सकते हैं।
ज्योति जैन किसी रचनाकार निर्देश पर बड़ी खूबसूरत पंक्तियां अभिव्यक्त की है देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे।
कवि कहते हैं जिस प्रकार सूरज हमें रोशनी देता है हवा नया जीवन देती है औरों का भी हित हो जिसमें हम ऐसा कुछ करना सीखें देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे। भूख मिटाने को हम हम धरती माता पर खेती कर अपना पालन पोषण करने हेतु करते हैं। ऐसा कुछ हमें भी सीखना चाहिए गर्मी की जो तपती दुपहरी में पेड़ सदा हमें छाया देता है बिना स्वार्थ के यह सब हमें कुछ ना कुछ देते हैं उसी प्रकार कभी का तात्पर्य है कि हमें भी अपने देश के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए।
जिस प्रकार फूल अपनी सुगंध देता है और उन फूलों से हम माला बनाते हैं। इन सभी के तरह हमें भी देश के प्रति त्याग का परिचय देना सीखना चाहिए।
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