देश के बारे में क्या सच नहीं है
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भारत 1947 में आज़ाद हुआ था और 1950 में लागू हुए संविधान में भारत को एक लोकतांत्रिक गणतंत्र घोषित किया गया था. यानी एक ऐसा देश जहां जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन होता है. ऐसी ही व्यस्था 2300 साल पहले ग्रीस की राजधानी एथेंस में थी. जिसे लोकतंत्र का जन्म स्थल माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं, एथेंस में लोकतंत्र अपने शुरुआती दौर में ही इतना विकृत हो गया था कि लोकतंत्र और जनता के फैसले की आड़ में सुकरात जैसे दार्शनिक को मौत की सज़ा दे दी गई थी. उन पर युवाओं को भ्रष्ट करने का आरोप था और उनकी मौत की सज़ा पर जनता द्वारा ही मुहर लगाई गई थी, इसके बाद सुकरात को ज़हर का प्याला पीना पड़ा था. तब सुकरात ने इसे लोकतंत्र की ख़ामी बताया था. गंभीर समस्याओं के सरल जवाब तलाशने की हमारी ज़िद आज हमारे देश को इस मुहाने पर ले आई है. जहां से हम हर सुधार का, हर नई बात का विरोध करने लगते हैं और ये सब इसलिए होता है क्योंकि कई बार हम ज़रूरत से ज़्यादा लोकतंत्र को ही असली आज़ादी मानने लगते हैं.