देश के लिए शहीद होने वाले लोगों के प्रति आपके क्या भाव है,7-8 पंक्तियों में लिखिए।
Answers
Explanation:
1999 की बात है। सुरेंद्र फौज से छुट्टी लेकर घर आया हुआ था। 15 मई की तपती दोपहर में सुरेंद्र को एक फोन आया और वह मेरे पास आकर बोला कि मां, बुलावा आ गया है, मुझे मोर्चे पर जाना है। यह कहने के बाद उसने वर्दी पहनी, मेरे पैर छुए और बोला राम-राम... और चला गया। ऐसा गया कि कभी लौट कर नहीं आया।' यह बताते-बताते चंपा देवी का गला रुंध जाता है। मुरादनगर के सुराना गांव की चंपा देवी ने करीब 20 साल पहले अपने बेटे को करगिल की जंग में खो दिया था।
'तिरंगे में लिपटकर आऊंगा मैं'
चंपा देवी बताती हैं कि जाते वक्त सुरेंद्र ने कहा था कि मां, बॉर्डर पर जा रहा हूं। अगर जिंदा नहीं बचा तो तिरंगे में लिपटकर ही लौटूंगा, लेकिन वादा करता हूं कि देश के दुश्मनों को भी जिंदा नहीं छोड़ूंगा। मेरे बेटे ने अपना वादा निभाया और अपनी जान दे दी, लेकिन देश पर आंच नहीं आने दी। करगिल के द्रास सेक्टर में जहां सुरेंद्र तैनात थे, वहां पाकिस्तानी फौजी गोलियां और बम बरसाकर भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे। सुरेंद्र ने अपने साथियों के साथ ऐसा हमला किया कि पाक के करीब 20 सैनिक ढेर हो गए, लेकिन इस बीच जिंदा बचे दुश्मन सैनिक ने सुरेंद्र पर गोलियां चला दीं। जख्मी होने के बावजूद सुरेंद्र ने दुश्मन सैनिक को भी गोली मार मौत की नींद सुला दिया। 1 जुलाई 1999 को सुरेंद्र भी शहीद हो गए। चंपा कहती हैं, 'मेरा बेटा सुरेंद्र बहुत बहादुर था। साथी सैनिक जब उसका पार्थिव शरीर गांव लाए थे तो वे भी उसकी वीरता के किस्से बताते हुए खुद भी फख्र महसूस कर रहे थे।'
Explanation:
Jo Shahid hone wale Sipahi Hai vah Dil Ke sacche saaf aur Apne family ko chhodkar Hamare Desh Ke Liye Ye Le Te Hain vah Hamare Liye bahut bahut bahut Kuchh Karte Hain.
Anushka Shinde