. देश के नाम संदेश। पत्र में क्या वर्णन किया गया है
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पत्र में भारतीय नागरिकों की अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही और सरकार के प्रति उनके शिकायती रवैए का वर्णन किया गया है।
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हरे पत्तों के इस पतझड़ में बड़ी विरानिया देखी
बिके खुद भी बिका सब कुछ , अदद शबाब के खातिर
उन दूकानों पर हर वह लहू नीलाम होता है,
अनवरत बह रहा जो जमीं पर हक जवाब के खातिर
बिक रहे देश के रहबर , हर मुकम्मल नाम बिकता है,
सुविचारों का थोथा भी यहाँ सरेआम बिकता है
अगर बिकती नही तो है कहाँ अवाम की ताकत
लड़ेगी खाक क्या इस देश के अंजाम के खातिर
ये दुनिया है मेरे यारों बड़ी संगीने चलती हैं
विदेश नीतियों के मानचित्र हरपल बदलती हैं
दलाली चल रही है वतन की औपनिवेश के खातिर
बचेगा देश मे क्या फिर , इस देश के खातिर
ये दिल की आग है जो मैंने लिखकर निकाली है
इस अंधे युग मे मेरे दर्द की शाही दिवाली है
अगर इस दर्द के अल्फाज की आवाज पहुँची हो
उठाओ फिर मशालें देश के संदेश के खातिर
जहाँ हर दिल उजाला हो उस नये परिवेश के खातिर
बस अपने देश के खातिर ,अपने देश के खातिर
- रवीन्द्र ‘रवि’
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