Hindi, asked by mramchandramishra198, 22 days ago

देश के निर्माण और उज्ज्वल भविष्य के लिए विद्यार्थियों की भूमिका असंदिग्ध है क्योंकि आज के विद्यार्थी ही देश के भावी कर्णधार हैं ।
निबंध लिखिये​

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Answered by pawanattri2007
15

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Answered by arvindbhaiasalaliya
23

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एक विशाल गौरवमय उत्थान के बाद भारत पर भी आपत्तियों की घनघोर घटा छायी। देश का आंकाश अन्धकारमय हो गया। भारत माता परतन्त्रता के पाश में जकड़ी गयी किन्तु भारत के वीर सपूत मातृभूमि की इस दीन-हीन दशा को कब तक देखते ? वे उठ खड़े हुए।देशप्रेम कीबलि-वेदी को अपने खून सेरंगकर स्वतन्त्रिता-संग्राम के महान् यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दी।

“ओ भारत केभावी जीवन की नैया के कर्णधार।

“ओ भारत केभावी जीवन की नैया के कर्णधार।भारत के जन-गण उन्नायक! ओ भविष्य के शिलाधार।

“ओ भारत केभावी जीवन की नैया के कर्णधार।भारत के जन-गण उन्नायक! ओ भविष्य के शिलाधार।ओ भारत के छात्र ! देश के प्राण ! मातृभूमि की सुयोग्य सन्तान सावधान विचलित मत होना, तुम्हें बनाना देश महान ।”

देश के भावी कर्णधार:-

भारत एक प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्र है। देश की वर्तमान प्रगति को देखकर यह आशा की जा सकती है कि अचिर भविष्य में भारत अपने उस सुदूर अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त कर लेगा और इसमें भी कहीं दो मत नहीं हैं कि देश के उस उज्ज्वल भविष्य का एकमात्र आशा-केन्द्र आज के विद्यार्थी हैं। नवभारत के निर्माता मातृभूमि के भावी त्राता, देश के भाग्य विधाता वे छात्र हैं जो आज स्कूलों और कालेजों की चारदीवारी के अन्दर अपने सामाजिक जीवन के प्रासाद की नींव जमा रहे हैं। भारत माता निर्निमेष दृष्टि से उनकी ओर निहार रही है।

विद्यार्थी के कर्तव्य:-

इतना बड़ा उत्तरदायित्व जिनके कन्धों पर आने वाला है, उन विद्यार्थियों को कितना सबल, सशक्त और शिक्षित होना चाहिए, यह कहने की आवश्यकता नहीं है,आधार जितना दृढ़ और विशाल होगा, उतना ही मजबूत और उत्तम प्रासाद बन सकेगा। उन्हें अपने जीवन का सर्वांगीण विकास करना होगा।इतना बड़ा उत्तरदायित्व जिनके कन्धों पर आने वाला है, उन विद्यार्थियों को कितना सबल, सशक्त और शिक्षित होना चाहिए, यह कहने की आवश्यकता नहीं है।आधार जितना दृढ़ और विशाल होगा, उतना ही मजबूत और उत्तम प्रासाद बन सकेगा। उन्हें अपने जीवन का सर्वांगीण विकास करना होगा।

आत्मसंस्कार की आवश्यकता:-

स्वतन्त्र भारत के विद्यार्थी को आत्मसंस्कार करना होगा। जो रोग नए उत्पन्न हो गये हैं, उन्हें दूर करना होगा। आज का विद्यार्थी अनुशासनहीन होता जा रहा है। देश की संस्कृति और आदर्शों की रक्षा के लिए अनुशासन का होना आवश्यक है।

उपसंहार:-

स्वतन्त्र भारत के प्रत्येक विद्यार्थी का यह परम पुनीत कर्तव्य है कि वह अनुशासनप्रिय व ज्ञान का जिज्ञासु बने। उसे इस बात का सतत ध्यान रखना चाहिए कि वह कुछ होने से पहले विद्यार्थी है।

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