देश का राष्ट्रीय विकास सार्वजनिक सुविधाओं की उपलब्धता पर निर्भर करता है? कैसे?
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Explanation:
किसी देश के निवासियों का जीवनस्तर उस देश की राष्ट्रीय आय द्वारा भी जाना जा सकता है। पाश्चात्य देशों के अनुपात में भारत की राष्ट्रीय आय बहुत कम है अत: जीवन का स्तर भारत में नीचा माना जाता है। नीचे जीवनस्तर के मुख्य कारण जनसंख्या की तीव्र वृद्धि, निर्धनता, उत्पादन के साधनों की कमी तथा अशिक्षा हैं। इसके अतिरिक्त भारत की धार्मिक तथा सामाजिक परंपराएँ भी ऊँचे जीवनस्तर को प्रोत्साहन नहीं देतीं। सादा जीवन, उच्च विचार ही यहाँ की विचारधारा रही है परंतु स्वतंत्रता के उपरांत पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा आर्थिक उन्नति के निरंतर प्रयास हुए हैं जिससे राष्ट्रीय आय पर्याप्त मात्रा में बढ़ गई है और हमारी कार्यक्षमता तथा स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव पड़ा है। परिणाम स्वरूप उत्पादन और उपभोग की मात्रा में भी वृद्धि हुई है।मनुष्य की अधिकांश आर्थिक क्रियाएँ आवश्कताओं को संतुष्ट करने के लिये होती हैं। ये आवश्यकताएँ दैनिक जीवन में उपभोग की जानेवाली विभिन्न वस्तुओं की होती हैं। इनकी पूर्ति सामान्यत: मनुष्य की आय के अनुसार होती है। यदि आय अधिक हुई तो न केवल अनिवार्य आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। वरन् आराम और विलासिता संबंधी वस्तुओं का भी उपभोग किया जाता है जीवन का स्तर उन्हीं आवश्यकताओं की पूर्ति का द्योतक होता है जो मनुष्य अपनी आय के अनुसार प्राप्त करता है। ये आवश्यकताएँ जलवायु, सामाजिक स्तर तथा सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार भिन्न भिन्न स्थानों में बदलती रहती है।समाज के विभिन्न वर्गों का जीवनस्तर उनके व्यवसाय पर भी निर्भर होता है जैसे समान आय वाले एक डाक्टर और एक दुकानदार के जीवनस्तर में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। डाक्टर अपने तथा परिवार के लोगों के लिये कपड़ा, मकान, शिक्षा तथा मनोरंजनादि पर दुकानदार के अनुपात में अधिक व्यय करेगा, जबकि दुकानदार अपनी आमदनी का एक बड़ा भाग अपने व्यवसाय की उन्नति में लगाना चाहेगा।