देश की रक्षा हमारी सुरक्षा प्रत्येक नागरिक को देश की रक्षा और सुरक्षा के बारे में क्या सूचना चाहिए
Answers
Explanation:
जैसा कि आपको विदित है कि पिछले कई वर्षो में हमारे देशपर चीन और पाकिस्तान द्वारा हमले किए गए है। जिन कारणों से ये हमले हुए है, वे कारण आज भी विद्यमान है। अतएव भविष्य में इन्ही कारणों से आक्रमण की आशंका नही टाली जा सकती इसलिए हमारे देशवासियों को इस बारे में सचेत रहना चाहिए। और पूरी तैयारियां रखनी चाहिए ।
हमारी जो सशस्त्र सेना और सीमावर्ती पुलिस है, वे दुश्मन का मुकाबला युद्ध के क्षेत्र में करते है, पर उन्हें देष के नागरिकों से पूरी मदद् न मिले तो उनका मनोबल गिर सकता है और अधिक समय तक उनके लिए लड़ना संभव नही होगा इस विषयक तैयारी का एक रूप सिविल डिफेन्स यानि नागरिक सुरक्षा भी है । अतः यह सेकण्ड लाईन आॅफ डिफेन्स है । और इस कारण संकटकालीन अवस्था में इसकी तैयारी अनिवार्य है ।
उत्पत्ति :-
नागरिक सुरक्षा की उत्पत्ति सन् 1939 से 1945 के दौरान् द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान् नागरिक आबादी के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा के लिए तथा देश की उत्पादक एवं आर्थिक गतिविधि की निरंतरता बनाये रखने के लिए ए.आर.पी. नाम के संगठन ने सिविल डिफेन्स का प्रादुर्भाव किया । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान् यह संगठन देश की आंतरिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया । सन 1945 में युद्ध की समाप्ति पश्चात् इस संगठन के लगन, मेहनत व निःस्वार्थ सेवा को देखकर इनकी उपयोगिता के महत्व को आंकलन कर इस संगठन को और मजबूती प्रदान किया गया ।
नागरिक सुरक्षा की अवधारणा का महत्व देश में दिनों-दिन बढ़ते जा रहा था कि अक्टूबर 1962 के दौरान् भारत चीन संघर्ष के बाद इस संगठन को और अधिक महत्व मिला, जिसके परिणामस्वरूप 14 नवम्बर 1962 को महानिदेशक सिविल डिफेन्स के पद का सृजन हुआ । नागरिक सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य ’’जान-माल की रक्षा करना व देश की उत्पादन क्षमता को निरंतर बनाये रखना है ’’।
सन् 1962 में आपात स्थिति की घोषणा होने तक भारत सरकार के नागरिक सुरक्षा नीति राज्यों, और संघ शासित प्रदेशों के प्रमुख शहरों के लिए नागरिक सुरक्षा योजना तथा नागरिक सुरक्षा की उपयोगिता के प्रति लोगों को और अधिक जागरूक बनाकर निःस्वार्थ भाव से कार्य करने हेतु प्रेरित किया गया ।
सन् 1962 में चीन से संघर्ष एवं 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद सिविल डिफेन्स की नीति, दायरा एवं नेतृत्व के बारे में फिर से विचार किया गया। और इस संबंध में एक कानून लाने बाबत् अवधारणा किया गया। अंततः नागरिक सुरक्षा कानून 28 मई सन् 1968 में संसद में अधिनियमित किया गया। एवं नागरिक सुरक्षा संगठन सन् 1968 से देश में लागू किया गया। देश दिसम्बर 1971 में पाकिस्तान से शत्रुतापूर्ण हमलों के अधीन था। इस संगठन ने उक्त हमले की चतुराई और रणनीतिक योजना का क्रियान्वयन कर रहा था । वर्तमान में सिविल डिफेन्स की गतिविधियां 35 राज्यों/संघ शासित प्रदेषों के 225 शहरों में विकसित है ।
नागरिक सुरक्षा का परिचय :-
नागरिक सुरक्षा वह सुरक्षा है जो जनता के व्दारा, जनता के लिये, जनता का मनोबल बनायें रखते हुए तथा अपनी उत्पादन क्षमता को जारी रखते हुए दुश्मन के हवाई हमले व दैविक प्रकोप को या उसके असर को कम करते हुए सिविल प्रशासन की मदद से जो कार्यवाही की जाती है उसे नागरिक सुरक्षा कहते है।
30 सितम्बर 2009 को नागरिक सुरक्षा एक्ट में संशोधन किया गया तथा दुश्मन के हमलें शब्द के स्थान पर आपदा किया गया।
Answer:
जैसा कि आपको विदित है कि पिछले कई वर्षो में हमारे देशपर चीन और पाकिस्तान द्वारा हमले किए गए है। जिन कारणों से ये हमले हुए है, वे कारण आज भी विद्यमान है। अतएव भविष्य में इन्ही कारणों से आक्रमण की आशंका नही टाली जा सकती इसलिए हमारे देशवासियों को इस बारे में सचेत रहना चाहिए। और पूरी तैयारियां रखनी चाहिए ।
हमारी जो सशस्त्र सेना और सीमावर्ती पुलिस है, वे दुश्मन का मुकाबला युद्ध के क्षेत्र में करते है, पर उन्हें देष के नागरिकों से पूरी मदद् न मिले तो उनका मनोबल गिर सकता है और अधिक समय तक उनके लिए लड़ना संभव नही होगा इस विषयक तैयारी का एक रूप सिविल डिफेन्स यानि नागरिक सुरक्षा भी है । अतः यह सेकण्ड लाईन आॅफ डिफेन्स है । और इस कारण संकटकालीन अवस्था में इसकी तैयारी अनिवार्य है ।
उत्पत्ति :-
नागरिक सुरक्षा की उत्पत्ति सन् 1939 से 1945 के दौरान् द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान् नागरिक आबादी के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा के लिए तथा देश की उत्पादक एवं आर्थिक गतिविधि की निरंतरता बनाये रखने के लिए ए.आर.पी. नाम के संगठन ने सिविल डिफेन्स का प्रादुर्भाव किया । द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान् यह संगठन देश की आंतरिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया । सन 1945 में युद्ध की समाप्ति पश्चात् इस संगठन के लगन, मेहनत व निःस्वार्थ सेवा को देखकर इनकी उपयोगिता के महत्व को आंकलन कर इस संगठन को और मजबूती प्रदान किया गया ।
नागरिक सुरक्षा की अवधारणा का महत्व देश में दिनों-दिन बढ़ते जा रहा था कि अक्टूबर 1962 के दौरान् भारत चीन संघर्ष के बाद इस संगठन को और अधिक महत्व मिला, जिसके परिणामस्वरूप 14 नवम्बर 1962 को महानिदेशक सिविल डिफेन्स के पद का सृजन हुआ । नागरिक सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य ’’जान-माल की रक्षा करना व देश की उत्पादन क्षमता को निरंतर बनाये रखना है ’’।
सन् 1962 में आपात स्थिति की घोषणा होने तक भारत सरकार के नागरिक सुरक्षा नीति राज्यों, और संघ शासित प्रदेशों के प्रमुख शहरों के लिए नागरिक सुरक्षा योजना तथा नागरिक सुरक्षा की उपयोगिता के प्रति लोगों को और अधिक जागरूक बनाकर निःस्वार्थ भाव से कार्य करने हेतु प्रेरित किया गया ।
सन् 1962 में चीन से संघर्ष एवं 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद सिविल डिफेन्स की नीति, दायरा एवं नेतृत्व के बारे में फिर से विचार किया गया। और इस संबंध में एक कानून लाने बाबत् अवधारणा किया गया। अंततः नागरिक सुरक्षा कानून 28 मई सन् 1968 में संसद में अधिनियमित किया गया। एवं नागरिक सुरक्षा संगठन सन् 1968 से देश में लागू किया गया। देश दिसम्बर 1971 में पाकिस्तान से शत्रुतापूर्ण हमलों के अधीन था। इस संगठन ने उक्त हमले की चतुराई और रणनीतिक योजना का क्रियान्वयन कर रहा था । वर्तमान में सिविल डिफेन्स की गतिविधियां 35 राज्यों/संघ शासित प्रदेषों के 225 शहरों में विकसित है ।
नागरिक सुरक्षा का परिचय :-
नागरिक सुरक्षा वह सुरक्षा है जो जनता के व्दारा, जनता के लिये, जनता का मनोबल बनायें रखते हुए तथा अपनी उत्पादन क्षमता को जारी रखते हुए दुश्मन के हवाई हमले व दैविक प्रकोप को या उसके असर को कम करते हुए सिविल प्रशासन की मदद से जो कार्यवाही की जाती है उसे नागरिक सुरक्षा कहते है।
30 सितम्बर 2009 को नागरिक सुरक्षा एक्ट में संशोधन किया गया तथा दुश्मन के हमलें शब्द के स्थान पर आपदा किया गया।
Explanation: