देश का सबसे महत्वपूर्ण देशांतर कौन-सा है? कारण बताएँ।
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पृथ्वी के तल पर स्थित किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति बताने के लिए उस स्थान के अक्षांश (latitude) और देेेशान्तर (Longitude) का मान बताया जाता है। किसी स्थान का रेखांश, धरातल पर उस स्थान की पूर्व-पश्चिम स्थित को बताता है। परम्परानुसार, सभी स्थानों के रेखांश को प्रधान यामोत्तर के सापेक्ष अभिव्यक्त किया जाता है।
प्रधान यामोत्तर (ग्रीनवीच रेखा) के सभी बिन्दुओं का रेखांश शून्य डिग्री (माना गया) है। धरती पर स्थित किसी स्थान को दोनों ध्रुवों से मिलाने वाला समतल, ग्रीनिच समतल से जितना कोण बनता है, वह कोण उस स्थान का रेखांश होगा। रेखांश का मान शून्य से लेकर १८० तक होता है। इस संख्या के अलावा 'पूर्व' और 'पश्चिम' भी बताया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का रेखांश ८२.५ पूर्व है और इस स्थान से होकर जाने वाली यामोत्तर के समय को भारत का मानक समय स्वीकार किया गया है।
इस चित्र में धरती, उस पर स्थित देश/समुद्र आदि, अक्षांश रेखाएँ तथा कुछ प्रमुख यामोत्तर रेखाएँ दर्शायीं गयीं हैं।
यामोत्तर (देशान्तर) और अक्षांश रेखाएं मिलकर एक ग्रिड का निर्माण करती हैं। अक्षांश रेखाएँ समानान्तर होतीं है और अलग-अलग लम्बाई की होतीं हैं। देशान्तर रेखाओं की लम्बाई समान होती है (ये समानान्तर नहीं होतीं)। जब हम विषवत रेखा से ध्रुवों की और जाते हैं तो किन्हीं दो देशान्तर रेखाओं के मध्य की दूरी क्रमशः कम होती जाती है।
0° देशांतर जो इंग्लैण्ड के ग्रीनविच स्थान से गुजरती है उसे ग्रीनविच रेखा कहते हैं। यह देशांतर को ग्रीनविच मीन टाइम/प्राइम मेरीडियन (जीएमटी) माना जाता है| इस रेखा से पूर्व में स्थित सभी 180° देशांतरों को पूर्वी देशान्तर और पश्चिम में स्थित सभी 180° देशांतरों को पश्चिमी देशान्तर कहा जाता है| सामान्यता पूर्वी देशान्तर को E और पश्चिमी देशान्तरों को W द्वारा निर्देशित किया जाता है| दो देशान्तरों के मध्य 4 मिनट का अंतर होता है, अथार्त पृथ्वी 1° देशांतर घूमने मे 4 मिनट का समय लेती है| 15° धूमने पर पृथ्वी १ घंटा समय लेती है|