"देश का शायद ही कोई ऐसा कोना हो, जहां कुछ दधीचि नहीं हुए हो, जिनकी हड्डियों के दान ने ही विदेशी वृत्तत्रासुर का नाश किया। " व्याख्या कीजिए और बताइए कि इस वाक्य में उल्लिखित दधीचि वृत्तत्रासुर से लेखक का संकेत किनकी ओर हैं?
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please mark me as brainliest answerplease mark me as brainliest answerplease mark me1. मेरौ मन अनत कहाँ सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज को पच्छी, फिरि जहाज पै आवै। जाक- कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव कौं ध्यावै। परम गंग को छाँड़ि पियासौ, दुरमति कूप खनावै। जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील फल भावै। सूरदास प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन 1. मेरौ मन अनत कहाँ सुख पावै। जैसे उड़ि जहाज को पच्छी, फिरि जहाज पै आवै। जाक- कमल-नैन को छाँड़ि महातम, और देव कौं ध्यावै। परम गंग को छाँड़ि पियासौ, दुरमति कूप खनावै। जिहिं मधुकर अंबुज-रस चाख्यौ, क्यों करील फल भावै। सूरदास प्रभु कामधेनु तजि, छेरी कौन
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