देश की दशा के विषय में शिशुपाल के क्या थे in two lines
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शिशुपाल महाभारत कालीन चेदि राज्य का स्वामी था। महाभारत में चेदी जनपद के निवासियों के लिए आदि पर्व के तिरसठवें अध्याय, छंद संख्या १०-१२ में लिखा है-"चेदी के जनपद धर्मशील, संतोषी ओर साधु हैं। शिशुपाल अपने पूर्व जन्म में रावण था और उससे पूर्व जन्म में हिरण्यकशिपु | यहाँ हास-परिहास में भी कोई झूठ नहीं बोलता, फिर अन्य अवसरों पर तो बोल ही कैसे सकता है। पुत्र सदा गुरुजनों के हित में लगे रहते हैं, पिता अपने जीते-जी उनका बँटवारा नहीं करते। यहाँ के लोग बैलों को भार ढोने में लगाते और दीनों एवं अनाथों का पोषण करते हैं। सब वर्णों के लोग सदा अपने-अपने धर्म में स्थित रहते हैं"। स्पष्ट है कि शिशुपाल की राज्य व्यवस्था अच्छी थी और चेदी जनपद के लोग सदाचार को महत्त्व देते थे।[1] शिशुपाल श्रीकृष्ण , बलराम और सुभद्रा की बुआ , वसुदेव और कुंती की सगी छोटी बहन सुतसुभा का पुत्र था | जन्म के समय शिशुपाल के चार सिर वः छ: भुजाएँ थीं उसके जन्म के समय आकाशवाणी हुई थी कि जिस मनुष्य की गोद में जाकर इसके अन्य तीन शीश और अन्य चार भुजाएँ गायब हो जाएँगी वही मनुष्य इसका वध करेगा जब वसुदेव के संग श्रीकृष्ण और बलभद्र जी भी आए तब सबकी गोद में शिशुपाल गया जब वह द्वारिकाधीश की गोद में गया तब उसके अन्य तीन शीश और अन्य चार भुजाएँ गायब हो गई तब सुतसुभा को अपने पुत्र की चिंता हुई | तब सुतसुभा ने श्रीकृष्ण से वचन माँगा और कहा " कि हे! कृष्ण मुझे वचन दो कि तुम इसका वध तब तक नहीं करोगे जब तक ये सौ गलतियाँ ना कर दे | तब श्रीकृष्ण बोले "कि ठीक है बुआ मैं इसका वध तब तक नहीं करूँगा जब तक मेरे ये भाई सौ गलतियाँ न कर दे |
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