Hindi, asked by dhruvgamer1, 5 months ago

देश के विकास के लिए हिन्दी भाषा का विकास आवश्यक है pls in just 100 words i need fast pls

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Answered by killer87
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Answer:

हिन्दी, बड़ी प्यारी सी सरल भाषा है हिन्दी। किसी न किसी रूप में इसका हम उपयोग जरूर करते हैं। हम अपने विद्यालय में, अपने दोस्तों से खेल के मैदान पर हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करते हैं।

जब से मानव अस्तित्व में आया तब से ही भाषा का उपयोग कर रहा है चाहे वह ध्वनि के रूप में हो या सांकेतिक रूप में या अन्य किसी रूप में। भाषा हमारे लिए बोलचाल का माध्यम होती है। संप्रेषण का माध्यम होती है।

इसके द्वारा हम अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। बातचीत कर सकते हैं। दूसरे लोगों के विचार सुन सकते हैं। यह बिलकुल सही है क्योंकि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज का निर्माण मनुष्यों के पारस्परिक सहयोग से होता है। समाज में रहते हुए मानव आपस में अपनी इच्छाओं तथा विचारों का आदान-प्रदान करता है।

विचारों को व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। अत: हम यह कह सकते हैं कि जिन ध्वनियों द्वारा मनुष्य आपस में विचार विनिमय करता है उसे भाषा कहते हैं। इसको हम इस प्रकार भी कह सकते हैं- सार्थक ध्वनियों का समूह जो हमारी अभिव्यक्ति का साधन हो, भाषा कहलाता है।

भाषा के साथ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि भाषा केवल ध्वनि से व्यक्त नहीं होती। संकेत तथा हाव-भावों से भी व्यक्त होती है जैसे बोलते समय चेहरे की आकृति में परिवर्तन होना, हाथ तथा उँगलियाँ हिलाना।

भाषा राष्ट्र के लिए क्यों आवश्यक है। भाषा राष्ट्र की एकता, अखंडता तथा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि राष्ट्र को सशक्त बनाना है तो एक भाषा होना चाहिए। इससे धार्मिक तथा सांस्कृतिक एकता बढ़ती है। यह स्वतंत्र तथा समृद्ध राष्ट्र के लिए आवश्यक है। इसलिए प्रत्येक विकसित तथा स्वा‍भिमानी देश की अपनी एक भाषा अवश्य होती है जिसे राष्ट्रभाषा का गौरव प्राप्त होता है।

क्या किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जा सकता है। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उसे ही बनाया जाता है जो उस देश में व्यापक रूप में फैली होती है। संपूर्ण देश में यह संपर्क भाषा व्यवहार में लाई जाती है।

राष्ट्रभाषा संपूर्ण देश में भावात्मक तथा सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का प्रधान साधन होती है। इसे बोलने वालों की संख्या सबसे अधिक होती है। हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी भारत के प्रमुख राज्य जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश में प्रमुख रूप से बोली जाती है।

हम सभी इस बात को मानते हैं कि हिन्दी भाषा बोलने में, लिखने में, पढ़ने में सरल है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या हिन्दी भाषा का आरंभिक स्वरूप ऐसा ही था। हमारी अपनी सी लगने वाली हिन्दी भाषा का रूप ऐसा नहीं था। प्रारंभ में यह बोली के रूप में थी।

बोली का क्षेत्र सीमित होता है। कालांतर में यह विकसित होते-होते एक समृद्ध भाषा बन गई। भाषा के रूप में इसका क्षेत्र विस्तृत होता गया। हमारी हिन्दी भाषा में प्रचुर साहित्य उपलब्ध है। सभी विधाओं में साहित्य लिखा हुआ है। जैसे कहानी, कविता, नाटक, उपन्यास आदि।

इन विधाओं के लेखकों को महत्वपूर्ण साहित्यिक पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं। एक और मजेदार बात यह है कि हिन्दी भाषा में अन्य भाषाओं के भी शब्द हैं। जैसे फारसी, अरबी आदि। कुछ शब्द तो बिलकुल वैसे ही प्रयोग में लाए जाते हैं तो कुछ सरलीकृत करके व्यवहार में लाते हैं। पर अब वे अलग प्रतीत ही नहीं होते, इतने घुल-मिल गए हैं।

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