Hindi, asked by sachin30072006, 1 month ago

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों पर चिंतित दो डोक्टरों के बीच संवाद लिखें |​

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Answered by yadavsantosh0720
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आईआईटी के वैज्ञानिकों के बनाए के मॉडल के अनुसार, भारत में 14 से 18 मई के बीच कोरोना संक्रमण के एक्टिव मामलों का आँकड़ा 38 से 48 लाख तक हो सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का पीक दो-तीन सप्ताह में आ सकता है.

अख़बार द हिंदू में छपी एक ख़बर के अनुसार, पीक मई 14 से 18 के बीच आ सकता है जिस दौरान देश में कुल एक्टिव केसों का आंकड़ा 38 से 48 लाख तक जा सकता है.

आईआईटी के वैज्ञानिकों के आंकड़ों के आधार पर बनाए गए एक मॉडल के अनुसार मई चार से आठ के बीच रोज़ाना संक्रमण के 4.4 लाख मामले दर्ज किए जा सकते हैं.

सोमवार को देश में कोरोना संक्रमण के रिकॉर्ड 3,52,991 मामले दर्ज किए गए जबकि 2,812 लोगों की मौत इसके कारण हुई. सोमवार को देश में कुल एक्टिव मामलों का आंकड़ा 28,13,658 तक पहुंच गया.आईआईटी कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने संक्रमित होने की संभावना, टेस्ट में वायरस का पता न चल पाने की संभावना और पॉज़िटिविटी की संभावना को आधार बना कर एक मॉडल बनाया है जिसके आधार पर उन्होंने कहा है कि मई महीने के दूसरे सप्ताह के आख़िर तक एक्टिव केसेज़ में दस लाख तक की वृद्धि हो सकती है.

Answered by Kitkumar4544
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किसी भी चिकित्सक और मरीज के बीच लगाव व सद्भाव तभी संभव है, जब उनके बीच सहज संवाद हो। संवाद से न केवल सहयोग और भरोसा पैदा होता है बल्कि डॉक्टरी पेशे का मानवीय पक्ष भी मजबूत होता है। यह बात राजपुर रोड के एक होटल में आइएमए के वार्षिक कौशल विकास कार्यक्रम के दूसरे दिन दून शाखा के अध्यक्ष डॉ. संजय गोयल ने कही।

उन्होंने ‘कम्युनिकेशन इन हेल्थ केयर’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि चिकित्सक और मरीज का रिश्ता काफी संवेदनशील होता है। दोनों के बीच संवाद में अपनापन जरूरी है ताकि चिकित्सक पर रोगी का विश्वास कायम हो सके। यह मरीज के स्वस्थ होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके उलट चिकित्सक का मरीज और तीमारदारों से संवाद बेहतर न होने पर अप्रिय स्थितियां जन्म लेती हैं।

हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट की चिकित्सक डॉ. पारुल जिंदल ने ‘मरीजों की सुरक्षा’ पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में ऐसी सुरक्षित प्रणाली को बढ़ावा देने की जरूरत है, जिससे इलाज में होने वाली त्रुटियों पर निगरानी रखने के साथ समय रहते सुधारात्मक कदम भी उठाए जाएं। दिल्ली से आए डॉ. विनीत गुप्ता ने स्ट्रेस मैनेजमेंट पर कहा कि तनाव, व्यक्ति की मनोदशा और काम को प्रभावित करता है। भानू प्रताप ने वित्तीय स्वतंत्रता पर व्यख्यान दिया।

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