Hindi, asked by AVENGERS789456, 2 months ago

देश में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इसके रोकथाम के लिए अपने सुझाव लिखिए।
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Answered by manpreetkaursonia202
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Answer:

प्रदूषण (संस्कृत: प्रदूषणम् ) पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है -'वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना', जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तन्त्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। वर्तमान समय में पर्यावरणीय अवनयन का यह एक प्रमुख कारण है।

कारखानों द्वारा धुएँ का उत्सर्जन

१९७३ में अमेरिका में वायु प्रदूषण की स्थिति

समुद्र किनारे फैली गन्दगी

प्रकृति द्वारा निर्मित वस्तुओं के अवशेष को जब मानव निर्मित वस्तुओं के अवशेष के साथ मिला दिया जाता है तब दूषक पदार्थों का निर्माण होता है। दूषक पदार्थों का पुनर्चक्रण नही किया जा सकता है।

किसी भी कार्य को पूर्ण करने के पश्चात् अवशेषों को पृथक रखने से इनका पुनःचक्रण वस्तु का वस्तु एवम् उर्जा में किया जाता है।[1]

पृथ्वी का वातावरण स्तरीय है। पृथ्वी के नजदीक लगभग [[५०|50॰॰ किमी ऊँचाई पर स्ट्रेटोस्फीयर है जिसमें ओजोन स्तर होता है। यह स्तर सूर्यप्रकाश की पराबैगनी (UV) किरणों को शोषित कर उसे पृथ्वी तक पहुँचने से रोकता है। आज ओजोन स्तर का तेजी से विघटन हो रहा है, वातावरण में स्थित क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण ओजोन स्तर का विघटन हो रहा है।

यह सर्वप्रथम 1980 के वर्ष में नोट किया गया की ओजोन स्तर का विघटन सम्पूर्ण पृथ्वी के चारों ओर हो रहा है। दक्षिण ध्रुव विस्तारों में ओजोन स्तर का विघटन 40%-50% हुआ है। इस विशाल घटना को ओजोन छिद्र (ओजोन होल) कहतें है। मानव आवास वाले विस्तारों में भी ओजोन छिद्रों के फैलने की संभावना हो सकता‌ है

ओजोन स्तर के घटने के कारण ध्रुवीय प्रदेशों पर जमा बर्फ पिघलने लगी है तथा मानव को अनेक प्रकार के चर्म रोगों का सामना करना पड़ रहा है। ये रेफ्रिजरेटर और एयरकण्डीशनर में से उपयोग में होने वाले फ़्रियोन और क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस के कारण उत्पन्न हो रही समस्या है। आज हमारा वातावरण दूषित हो गया है। वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाले गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है।

Answered by ss2523846
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Answer:

हमारी दैनिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली उत्पन्न करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग किया जाता है और इससे निकलने वाला धुआँ हमारे वातावरण के लिए बेहद खतरनाक होता है। इस तरह के प्रदूषण से बचने के लिए आपको सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे आपके पैसे भी बचेंगे और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा।

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