दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै का क्या अर्थ है हिंदी में ?
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लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग।
गहरि, नदी, नारी जहाँ, तहाँ बचावै अंग।।
तहाँ बचावे अंग, झपटि कुत्ता कहँ मारै।
दुश्मन दावागीर, होयँ तिनहूँ को झारै।।
कह 'गिरिधर कविराय' सुनो हो धूर के बाठी।।
सब हथियार न छाँड़ि, हाथ महँ लीजै लाठी।। 1।।
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