देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार~
(बेहद लघु )
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दुनिया में वही देश सबसे ज्यादा मजबूत होता है जिसके नागरिक अपने देश से सबसे ज्यादा प्यार करते है. देशभक्ति की भावना वह भावना है जिसमे प्रेम का होना स्वाभाविक होता है. एक देश का नागरिक होने के नाते हमारे अन्दर भी देशभक्ति का गुण होना ही चाहिए.
जैसा की हम जानते हैं प्राणियों में जन्म से ही अपने भावों , विचारों को प्रकट करने का अलग अलग तरीका होता है जो प्राणियों के लिए ईश्वरीय वरदान है और उन भावों को विचारों को या अभिव्यक्ति को प्रकट करने का तरीका ही भाषा है जब मैं चिड़ियों के चहचहाने, कुत्ते के भोंकने, गाय के रंभाने की आवाज़ सुनता हूँ तब मैं सोचता हूँ कि ये अपनी भाषा में कुछ कहना चाहते हैं अपने क्रोध, अपने प्रेम आदि को हमें दर्शाना चाहते हैं पर उन्हें समझ नहीं पाता तभी में सोचने लगता हूँ कि मानव कितना भाग्यशाली है कि उसे अपनी बात कहने के लिए लिखित भाषा का वरदान मिला है I मनुष्य चाहे कितनी भी भाषा सीख ले उसे अपनी हार्दिक भावनाओं को व्यक्त करने के लिए अपनी भाषा की ही शरण लेनी पड़ती है इससे उसे मानसिक संतोष का अनुभव होता है I साहित्य, विज्ञान, कला, दर्शन सभी का आधार भाषा ही है अतः राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने के लिए राष्ट्र भाषा की आवश्यकता होती है I
किसी भी देश में सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा ही राष्ट्र भाषा होती है और हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी है I राष्ट्र कवि मैथली शरण गुप्त जी ने भी कहा है -
है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरीभरी
हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा और लिपि है नागरी II
विडम्बना यह है कि वर्तमान में भाषा तथा मातृभाषा के स्तर में गिरावट आई है चूँकि वातावरण परिवेश तथा सांस्कृतिक विशेषताओं का प्रभाव भाषा पर भी पड़ता है तो हिन्दी के प्रति हमारा कर्तव्य है कि हम इसके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाएं I चूँकि हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है और उसकी उन्नति ही हमारी उन्नति है I हमें इसके (हिन्दी ) के मर्म को समझना चाहिए तथा उसकी गरिमा को प्रतिष्ठापित करना चाहिए I
भाषा का प्रसार नारों से नहीं होता यह निरंतर परिश्रम व धैर्य से होता है I हिन्दी व्याकरण का प्रमाणीकरण किया जाना चाहिए I
भारतेंदु हरीशचंद्र जी ने भी कहा है -
निज भाषा उन्नति अहैं सब उन्नति को मूल
बिन निज भाषा ज्ञान को मिटत न हिय को सूल II