देश प्रेम दिखावे की वस्तु नहीं है पर निबंध
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देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है
देशप्रेम दिखावे की वस्तु नही है, बल्कि कुछ कर दिखाने का विषय है। भारत माता की जय बोल दिये या वंदेमातरम् बोल दिये या फिर 15 अगस्त या 26 जनवरी को कुछ देशभक्ति के संदेश अपने मित्र-संबंधियों को भेज दिये और उसके बाद अपने ऑफिस में जाकर रिश्वत ले रहें है, सड़क पर सिग्नल तोड़ रहे हैं, या हेरा-फेरी करके सरकार को दिये जाने वाले किसी भी तरह के टैक्स की चोरी करते हैं या अन्य कोई ऐसा कार्य करते हैं जिससे देश को किसी तरह का नुकसान पहुँचता हो तो भारत माता की जय या वंदेमातरम् बोलने का कोई सार्थक अर्थ नही।
बड़े-बड़े नारे लगाने से या दिखावा करने से देशभक्ति प्रकट नही होती बल्कि हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना आना चाहिये। हम देश के संविधान के अनुसार चलते हों, देश के कायदे-कानून का पालन करते हों, ईमानदारी से अपना टैक्स भरते हों, किसी तरह के भ्रष्टाचार में नही लिप्त हों तथा एक सच्चे एवं जागरूक नागरिक की भूमिका निभाते हों तो हम सच्चे देशभक्त हैं। हमें अपने देश की भाषाओं, इतिहास, विरासत और संस्कृति पर गर्व हो तो हम सच्चे देशभक्त हैं।
भारत माता की जय बोलना या वंदेमातरम् बोलना कोई बुरी बात नही, बल्कि ये देश के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करने के उद्गार हैं, लेकिन इन नारों की सार्थकता तभी है जब हम देश के अपने अन्य कर्तव्यों का भी पूरी ईमानदारी से पालन करते हों। देश के एक सच्चे और ईमानदार नागरिक हों।
अतः देशप्रेम चिल्लाकर-चिल्लाकर बोलकर दिखावे की वस्तु नही है, बल्कि ये हमारे अंदर का एक एहसास है जो शांत भाव से हमारे आचरण में दिखना चाहिये।