दुष्ट कौवा और हंस की कहानी
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एक बार कवेको अपने अपने को पर गुरूर हुआ लगा के बहुत अच्छा हो सकता है लेकिन मुझे नही पता था के उसे मुझे तुमसे शरद लगाने है कि दोनो मे से कोन जल्दी पोहोचता है लेकिन जब शर्तशुरू हुईतवा जल्दी-जल्दी हवा मे उडणे लगा का और धीरे धीरे ये जाते हुए देखा गया है और नही धीरे धीरे चल रहथा इसलिये उसने हषद जितले और काव्य का घमंड चोर किया
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