दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्।
सत्यपूतां वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्॥
शब्दार्थ : दृष्टिपूतम्-आँख से देखकर। न्यसेत्-रखना चाहिए। पादम्-कदम को (पैर को)। वस्त्रपूतम्-कपड़े से छानकर। पिबेत्-पीना चाहिए। सत्यपूताम्-सत्य से परीक्षा करने। वदेत्-बोलना चाहिए। वाचम्-वाणी को। समाचरेत्-आचरण करना चाहिए।
सरलार्थ:-आँख से पवित्र करके (अच्छी तरह देख-भाल करके) पैर रखना चाहिए, कपड़े से छानकर (शुद्ध करके) जल पीना चाहिए। सत्य से पवित्र करके (सत्य से युक्त करके) वाणी बोलनी चाहिए और मन से पवित्र करके (सोच-विचार करके) आचरण-व्यवहार करना चाहिए।
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shabd
जीव द्रव्य पूतना से पसंद वह सत्र पंतु जल विपिन सत्य वचन
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शब्दार्थ : दृष्टिपूतम्-आँख से देखकर। न्यसेत्-रखना चाहिए। पादम्-कदम को (पैर को)। वस्त्रपूतम्-कपड़े से छानकर। पिबेत्-पीना चाहिए। सत्यपूताम्-सत्य से परीक्षा करने। वदेत्-बोलना चाहिए। वाचम्-वाणी को। समाचरेत्-आचरण करना चाहिए।
सरलार्थ:-आँख से पवित्र करके (अच्छी तरह देख-भाल करके) पैर रखना चाहिए, कपड़े से छानकर (शुद्ध करके) जल पीना चाहिए। सत्य से पवित्र करके (सत्य से युक्त करके) वाणी बोलनी चाहिए और मन से पवित्र करके (सोच-विचार करके) आचरण-व्यवहार करना चाहिए।
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