दुष्ट से मित्रता नही करनी चाहिए पर कहानी
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बंदर और मगरमच्छ
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एक समय कि बात हैं एक जामुन के पेड़ में रहा करता एक उस ने देखा एक मगरच्छ वहां घायल था तो उसने बहुत सेवा किया अंत में जाकर वे दोनों दोस्त बने एक बंदर ने अपने जामुन पेड़ से जामुन दीए मगरच्छ को फिर वो जामुन अपनी पत्नी को खिलाई अब उसके पत्नी ने सोचा कि जिस पेड़ के जामुन इतने स्वादिष्ट है उसे खाने वाले की कलेजा और स्वादिष्ट होगा फिर उस मगरच्छ की पत्नी ने फरमान रखा कि वो उस बंदर का कलेजा खाना चाहती हैं वरना वो अन्न जल की त्याग कर देगी इस बात को सुनते ही मगरच्छ अपने दोस्त को न्योता के नाम ला रहा पर जब वह न दी के बीच में पहुंचा तो मगरच्छ ने सब सत्य बता दिया फिर बंदर ने सोचा इधर बचने का एक उपाय तो उसने बहाना बना ते हुए कहा मेरा दिल पेड़ पे हैं अब इस बात को सुनते ही मगरच्छ वापस उसके निवास स्थान पहुंच जाता हैं और फिर मगर मच्छ से कहता है रे दुष्ट अगर मेरा दिल किसी और जगह रहता तो मै ज़िंदा रहता क्या जा चला जा इधर से मैंने आज सिखलाया की दुष्टों से मित्रता करने पर हमरा ही नुकसान होता हैं।