दूटते परिवार समयकी मांग अपने विचार
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जिस घर को कभी हमारा घर कहकर पुकारा जाता था, वह घर अब टुकड़े-टुकड़े होकर तेरे-मेरे घर में परिवर्तित हो रहा है। हाल यह है कि एक भाई अपने दूसरे भाई के साथ नहीं रहना चाहता। भारत में प्राचीन काल से ही 'वसुधैव कुटुंबकम्' की रीति को अपनाया जाता रहा है। अर्थात पूरी पृथ्वी हमारा परिवार है।
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