Hindi, asked by anshitarohira007, 4 months ago

थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात ।
धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात ।।
दोहे का भावार्थ लिखिए ।​

Answers

Answered by krishnakushwah8
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Answer:

क्वार् मास में पानी से खाली बादल जिस प्रकार गरजते हैं, उसी

प्रकार धनी मनुष्य जब निर्धन हो जाता हैं, तो अपनी बातो का बराबर हिसाब करता है

Answered by confusedgenius1000
1

Answer:

दोहा : थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात ।

धनी पुरूष निर्धन भए, करें पाछिली बात ।।

अर्थ : रहीम दास जी इन पंक्तियों में कहते हैं जिस प्रकार पेड़ अपने ऊपर फले हुए फल को कभी नहीं खाते हैं, तालाब कभी अपने अन्दर जमा किये हुए पानी को कभी नहीं पीता है उसी प्रकार सज्जन व्यक्ति / परोपकारी व्यक्ति भी अपना इक्कठा किया हुआ धन से दूसरों का भला करते हैं। थोथे बादर क्वार के, ज्यों 'रहीम' घहरात ।

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