दादा जी को अपने स्कूल के हुए वार्षिक महोत्सव के बारे में बताते हुए पत्र लिखें
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जयपुर
25 दिसंबर 2019
प्रिय दादाजी,
सादर प्रणाम ।
मैं यहां सकुशल हूँ और आशा करता हूं कि आप भी वहां पर सकुशल होंगे। बहुत दिनों से मैं आपको पत्र नहीं लिख सका, इसका मुझे अफसोस है। दरअसल, पिछले दिनों मैं अपने विद्यालय के वार्षिकोत्सव (annual function) की तैयारियों में जुटा था।
इस बार का वार्षिकोत्सव पिछले वर्षों से कुछ अलग प्रकार का रहा । इस अवसर पर स्वयं राज्यपाल महोदय हमारे विद्यालय में पधारे थे । आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि उनके हाथों मुझे पिछले वर्ष के सर्वश्रेष्ठ छात्र का पुरस्कार प्रदान किया गया है।
प्रधानाचार्य (principal) तथा अन्य आमंत्रित (invited) अतिथियों के भाषण के पश्चात् रंगारंग कार्यक्रम (cultural programmes) प्रस्तुत किये गए, जिन्हें शिक्षकों की देखरेख में हमने बड़ी मेहनत से तैयार किया था। इन सब कार्यक्रमों ने विद्यार्थियों के अभिभावकों तथा दर्शक छात्र-छात्राओं का मन मोह लिया। राज्यपाल महोदय ने भी प्रभावित होकर इस विद्यालय के विद्यार्थियों की प्रशंसा की।
यह मेरे जीवन का पहला अवसर था जब किसी महान व्यक्ति ने मेरी इतनी प्रशंसा की, लेकिन इन सबके बीच आपकी कमी हमेशा मेरे मन में खटकती रही। यदि आप भी यहां होते तो तो मेरी खुशी और अधिक बढ़ जाती। आशा करता हूँ आप अगली बार का वार्षिकोत्सव देखने जरूर आएंगे।
दादीजी, चाचाजी और चाचीजी को भी मेरा प्रमाण कहना।
आपका प्रिय पौत्र