दाद
माँ
दन म
म
चादर लपेटेसोया था। दाद
माँ आ
, शायद नहाकर आई थीं , उसी
झागवालेजल म
। पतले-दब
ु
ले
नेह-सनेशर
र पर सफ़ेद
कनार
ह
न धोती, सन-से
सफ़ेद बाल
के
सर
पर स
यः टपके ह
ु
ए जल क
शीतलता। आतेह
उ
ह
नेसर, पेट
छु
ए। आचँ ल क
गाँठ खोल
कसी अ
य शि
तधार
के चबतू रेक
म
ट
मँहु
म
डाल
, माथेपर लगाई।
दन-रात चारपाई के पास बठै
रहतीं , कभी पखं ा झलतीं ,
कभी जलतेह
ु
ए हाथ-परै कपड़ेसेसहलातीं , सर पर दालचीनी का लेप करतीं और
बीस
बार छू-छू
कर
वर का अनम
ु
ान करतीं। हाँडी म
पानी आया
क नह
?ं उसे
पीपल क
छाल सेछ
का
क नह
?ं
खचड़ी म
मगं
ू
क
दाल एकदम
मल तो गई है?
कोई बीमार केघर म
सीधेबाहर सेआकर तो नह
ं चला गया, आ
द लाख
न
पछू -पछू
कर घरवाल
को परेशान कर देतीं।
(i) दाद
माँ कहाँ आयी थी ?
(ii) दाद
माँ बख
ु
ार को उतरनेके
लए
या -
या करती ह
?
(iii) दाद
माँ घर वालो को कैसे
न पछू
कर परेशान करती थी?
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im sorry i cant understand this language
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