दादू ने अपना अंतिम समय कहा व्यतीत किया?
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Explanation:
अधिकाशतया ये सांभर व आमेर में रहने लगे. फतेहपुर सिकरी में अकबर से भेट के बाद आप भक्ति का प्रसार प्रसार करने लगे. राजस्थान में ये नारायणा में रहने लगे. 1603 में वही पर इन्होने अपनी देह का त्याग किया.
दादू ने अपना अंतिम समय वह अजमेर के पास नाराना नामक एक गाँव में मर गए।
जीवन कथा:
दादु दयाल (1544-1603) अहमदाबाद, गुजरात, भारत से एक भक्ति कवि/संत थे। 'दादू' का अर्थ है भाई और 'दयाल' का अर्थ है 'दयालु एक'। वह एक समृद्ध व्यवसायी द्वारा साबरमती नदी पर तैरते हुए पाया गया था। बाद में वह जयपुर राजस्थान के पास आमेर चले गए, जहां वह अपने चारों ओर अनुयायियों के एक समूह के चारों ओर इकट्ठा हुए, एक संप्रदाय का गठन किया जो दादु-पैंथ के रूप में जाना जाता है। दादू की रचनाएँ उनके शिष्य राजजब द्वारा दर्ज की गई थीं और उन्हें 5,000 दोहों के संकलन दादू अनुभव वानी के रूप में जाना जाता है, उनमें से कई भजन और दोहस। दादु ने अपने जीवन के बाद के वर्षों को नारायण में बिताया। अनुयायियों द्वारा पांच आश्रमों को पवित्र माना जाता है: नारायण, भैरानाजी, सांभर, आमेर और करडला (कल्याणपुरा)। उनका जन्म 1544 में हुआ था, और 1603 में उनकी मृत्यु हो गई।जब तक कि अंततः उन्हें साधु सुंदुरास द्वारा धार्मिक जीवन में शुरू नहीं किया गया। दादू के पास कोई पुस्तक-सीखने का कोई नहीं था, लेकिन उनकी प्राकृतिक प्रतिभा और उनकी भक्ति से प्राप्त दृष्टि ने उन्हें सौंदर्य और एक कवि का प्रेमी बना दिया। यहाँ पहली बार सही तुकबंदी के रूप में उनके अद्भुत, शक्तिशाली भजन और दोहाओं में से 85 हैं।
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