दादी पोती कस्बा बिल्डर अकल कहानी लेखन शब्दोंके अधार पर
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दादी मैं अभी बिजी हूं, आपकी बात सुनने का समय नहीं, मुझे स्कूल व ट्यूशन का काम करना है, दोस्तों के साथ भी समय बिताना है। लॉकडाउन से पूर्व घर में बच्चों के मुंह से निकली ये बातें आम थी। न माता-पिता व दादा-दादी के पास बच्चों के साथ कुछ पल बिताने का समय था और न ही बच्चे उनसे अपनत्व का भाव रख पा रहे थे। लॉकडाउन ने जहां प्रकृति का शुद्धिकरण कर दिया, वहीं बाल मन को भी शुद्धता प्रदान की है। हर वक्त व्यस्त रहने वाले बच्चे अब दादी की गोद में बैठकर संस्कारों का पाठ पढ़ रहे हैं। दादी न सिर्फ मोबाइल की दुनिया से उनको बाहर लाकर राजा-रानी की कहानी सुना रही हैं, बल्कि यह भी सिखा रही है कि बड़ों को सम्मान देना हमारी सनातन परंपरा रही है। दादी के आंचल की मिली छांव महिला परिषद की अध्यक्ष स्नेहलता गुप्ता लॉकडाउन के दौरान अपने पोते निकुंज व पोती नंदिनी के साथ बेहतरीन समय बिता रही है। स्नेहलता गुप्ता का कहना है कि काम के सिलसिले में वह खुद भी व्यस्त रहती थी और बच्चों के पास भी स्कूल व ट्यूशन जाने के कारण समय नहीं था। लॉकडाउन ने मुझे वो सुख दे दिया जिसका मैं लंबे समय से इंतजार कर रही थी। निकुंज व नंदिनी अपनी दादी स्नेहलता व दादाजी राजेश कुमार गुप्ता की पाठशाला में खूब मस्ती कर रहे हैं। स्नेहलता गुप्ता का कहना है कि सारे परिवार ने साथ बैठकर टीवी पर रामायण देखी तथा अब कृष्णा भी देख रहे हैं। इतना ही नहीं मैं अब रामायण व अन्य धार्मिक ग्रंथों के प्रसंगों को भी उन्हें सुना रही हूं। रामायण के हर पात्र से जुड़ी विशेषता भी वे उत्सुक होकर पूछ रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्वामी विवेकानंद, सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. अब्दुल कलाम आदि महापुरुषों के संघषों की कहानी भी मैं उन्हें सुना रही हूं ताकि वे भी जीवन में घबराए नहीं बल्कि उच्च मुकाम पर पहुंचे। नंदिनी व निकुंज का भी कहना है कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो शायद इस लाड़ चाव से वे वंचित ही रह जाते। स्कूल जब खुलेंगे तो लॉकडाउन की मीठी यादों की पूरी किताब उनके पास होगी, जिसका हर पाठ वे अपने दोस्तों को सुनाएंगे। वहीं गंगायचा अहीर निवासी कौशल्या देवी भी अपने पोते-पोतियों चारू, शानवी व गुंजन के साथ बेहतरीन दिन बिता रही है। हर वक्त पोता-पोती दादी की गोद में ही रहते हैं और तरह-तरह के सवाल पूछते हैं। दादी कौशल्या देवी का कहना है कि लॉकडाउन में बच्चों को संबंधों की अहमियत बताई है, संस्कारों के दीपक की रोशनी दिखाई है और राष्ट्र सेवा का संकल्प भी दिलवाया है।