Hindi, asked by swapnilmurke, 1 month ago

दादुर पुनि चहुँ दिशा सुहाई। बेद बढहि जानु बटु समुदाई।।
नव पल्लव भए बिटप अनेका। साधक मन जस मिले विवेका।।
अर्क-जवास पात बिनु भयऊ। जस सुराज खल उद्यम गयक।।
खोजत कतहुँ मिलइ नहिं धूरी। करए क्रोध जिमि धरमर्हि दूरी।।
ससि संपन्न सोह महि कैसी। उपकारी के संपति जैसी।।
निसि तन धन खद्योत बिराजा। जनु दंमिन्ह कर मिला समाजा।।
कृषी निरावहिं चतुर किसाना। जिमि बुध तजर्हि मोह-मद-माना।।
देखिअत चक्रबाक खग नाही। कलिहिं पाइ जिमि धर्म पराहीं।।
विविध जंतु संकुल महि भ्राजा। प्रजा बाढ जिमि पाई सुराजा।।
जहँ-तहँ रहे पथिक थकि नाना। जिमि इंद्रिय गन उपजे ग्याना।।​

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Answered by abhinavmishra7736
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