दादुर टर-टर करते झिल्ली बजती झन-झन,
'म्यव-म्यव' रे मोर ‘पीउ' 'पीउ' चातक के गण ।
उड़ते सोनबालक, आर्द-सुख से कर क्रंदन,
घुमड़-घुमड़ गिर मेघ गगन में भरते गर्जन ।।
प्रश्न:
टर-टर आवाज़ कौन करते हैं ?
चातक के गण कैसी आवाज़ करते हैं ?
सोनबालक कैसे उड़ते हैं ?
गगन में कौन गर्जन भरते हैं
पर्युक्त पद्यांश के कवि कौन हैं ?
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मेंढक,उललु,पक्षी,सूरज,
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