दादुर धुनि चहुँ दिसा सुहाई बेद पढ़हिं जनु बहु समुदाय नव पल्लव भए बिटप अनेका । साधक मन जस मिले बिले
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चारों दिशाओं में मेंढकों की ध्वनि ऐसी सुहावनी लगती है, मानो विद्यार्थियों के समुदाय वेद पढ़ रहे हों। अनेकों वृक्षों में नए पत्ते आ गए हैं, जिससे वे ऐसे हरे-भरे एवं सुशोभित हो गए हैं जैसे साधक का मन विवेक (ज्ञान) प्राप्त होने पर हो जाता है॥
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okk please wait for a minute till then stay tuned
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