ठिठुरता हुआ गणतंत्र साहित्य की कौन सी विधा है?
a. नाटक
b.कहानी
c.निबंध
d.एकांकी
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ठिठुरता हुआ गणतंत्र साहित्य की d.एकांकी विधा है.
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ठिठुरता हुआ गणतंत्र साहित्य की विधा है : b. कहानी
- ठिठुरता हुआ गणतंत्र इसके लेखक हरिशंकर परसाई है l
- इस कहानी के माध्यम से लेखक हरिशंकर परसाई ने भारतीय लोकतंत्र की खामियों पर व्यंग्य कसा है l
- लेखक कहता है कि जब गणतंत्र दिवस पर दिल्ली पर दिल्ली में झांकियां निकाली जाती है तो वह पूरा सच नहीं होता है I
- लेखक कहते हैं कि इन झांकियों को निकालने की बजाए यह प्रदर्शित किया जाना चाहिए कि वह विशेष राज्य किस विशेष कारण से प्रसिद्धि को प्राप्त हुआ है l
अन्य विकल्पों की जानकारी :
a. नाटक : नाटक काव्य काव्य रूप है जिसे देखने के साथ-साथ सुना भी जाता है l
c. निबंध : यह गद्य लेखन की एक विधि है जिसमें किसी दिए गए शीर्षक पर लिखा जाता है l
d. एकांकी : एकांकी नाटक का ही एक रूप होता है l
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