दाद देना, बोलबाला होना) आजकल के युग में विज्ञापन का बहुत प्रभाव है।
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दाद देना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- कार्य या बात को प्रशंसनीय समझकर वाह वाह करना।
विज्ञापन हमारे जीवन की दिनचर्या को बदल दे रहा है आज हम जिन वस्तुओं का प्रयोग कर रहे हैं उसमें विज्ञापन का सबसे बड़ा रोल है मंजन से लेकर खाद्य पदार्थ तक सब में विज्ञापन का रोल बढ़ता जा रहा है कोई भी वस्तु समाज में आने से पहले उसका प्रचार साथ तेजी से किया जा रहा है विज्ञापन ना सिर्फ हमारी दिनचर्या को बदल दिया है बल्कि सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है सकारात्मक रूप से देखें तो विज्ञापन से हमें बहुत सारी वस्तुएं को यूज करने में सहायता मिलती है लेकिन अगर नकारात्मक रूप से देखें हमारी दिनचर्या को बदल दे रहा है आज खानपान हम इस आधार पर डिसाइड कर पा रहे हैं कि कौन सी चीजें सबसे ज्यादा लोग यूज़ करते हैं उसे हम भी अपना ले रहे हैं चाहे वह सही हो या गलत का परीक्षण नहीं करते सिर्फ विज्ञापन के आधार पर हम चीजों को यूज कर रहे हैं विज्ञापन की वजह से सांस्कृतिक रूप से बहुत कमजोर होते जा रहे हैं स्थानी पदार्थ खाद्य वस्तुएं छोड़कर बाजार में विज्ञापन के द्वारा प्रचारित होने वाले वस्तुओं का धड़ल्ले से यूज कर रहे हैं यह कहीं ना कहीं हमारी दिनचर्या म नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है उदाहरण के लिए जैसे बच्चों को सुबह उठते ही दूध है या दलिया खा लिया करते थे लेकिन आज विज्ञापन के द्वारा मैगी चाऊमीन तमाम ऐसे फास्ट फूड जो कि बच्चों के सेहत पर खासा प्रभाव डाल रहे हैं बच्चे उनके आदी होते जा रहे हैं यह विज्ञापन का ही असर है कि हमारे जीवन का पूरा खानपान बदल गया है रहन-सहन बदल गया है लोग विज्ञापन के आधार पर समाज का वैल्यू कर रहे हैं शादियों में पहले हम बैठकर खाना खाते थे आज खड़े होकर खाना खा रहे हैं ऐसे तमाम संस्कृति बदलती की जा रही हैं जो विज्ञापन का कारण है