Hindi, asked by kirteeyadav2020, 8 months ago

दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई ।
माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई ।।
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी 'मीरा' लाल गिरिधर तारो अब मोही ।।​

Answers

Answered by topwriters
81

मेरे तो गिरधर गोपाल

Explanation:

पंक्तियाँ "मेरे तो गिरधर गोपाल" कविता का एक अंश हैं।

कविता को भगवान कृष्ण, मीरा के एक उत्साही भक्त के शब्दों के रूप में लिखा गया है।

लाइनों के अर्थ इस प्रकार हैं:

  • बड़े प्यार से मैंने दही चूड़ा खाया है।
  • जब मक्खन का दूध निकाल लिया गया है, तो इस बात की चिंता क्यों करें कि पतला दही के बचे हुए हिस्से को कौन पीता है।
  • मैं अनुयायियों से खुश हूं लेकिन जनता से बहुत आहत हूं।
  • मैं आपका सेवक हूँ, मीरा, हे प्रिय गिरिधर, मुझे इस झंझट से बाहर निकालो।
Answered by shailajavyas
21

Answer:

                   चित्तौड़ की मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका थी । श्रीकृष्ण के प्रेम में तल्लीन होकर वे कई भजन या पद रचा करती थी। इसी क्रम में उन्होंने इस पद " मेरे तो गिरिधर गोपाल " की रचना की । उपरोक्त वर्णित पंक्तियाँ इसी पद की है । इसके अन्तर्गत वे कह रही है कि मथनियां (लकड़ी का एक प्रकार का वह प्राचीन बर्तन जिसमें दही को मथकर माखन निकाला जाता था इस पद्धति को बिलोना(मथना) कहते थे ) को बड़े प्रेमसे बिलोया (मथा) है | यहाँ रूपक है |

                          वस्तुत: वे गूढार्थ में कह रही हैं कि इस संसाररुपी दूध से उन्होंने माखन रुपी श्रीकृष्ण-भक्ति को मथकर निकाल लिया जो इस संसार का वास्तविक सार भी है | बची हुई इस छाछ को यानि सांसारिक मोह -माया को छोड़ दिया अब यह जिसे अच्छी लगे वो इसे ग्रहण कर ले | जिस प्रकार दूध का सार तत्व माखन है शेष छाछ असार है अर्थात उसमें इतनी पौष्टिकता कहाँ ? ठीक इस संसार को अनुभव और ज्ञान रुपी मथनियां से प्रेमपूर्वक मथकर उन्होंने कृष्ण रूपी माखन तत्व का अनुसन्धान कर उसे प्राप्त कर लिया है | यही कारण है कि उन्हें भक्त को देखकर खुशी होती है और इस संसार या जगत को देखकर दुःख | मीरा बाई इसी क्रम में आगे कहती है हे कृष्ण आप तो गिरिधर नागर ( ब्रज बासियों  की सुरक्षा हेतु गिरी अर्थात गोवर्धन पर्वत उठाकर धारण करनेवाले ) हो आप मुझे भी इस भव-सागर से पार लगा दीजिये |

Similar questions