दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई। माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई।। भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई। दासी 'मीरा' लाल गिरिधर तारो अब मोही भावार्थ लिखिए
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कविता को भगवान कृष्ण, मीरा के एक उत्साही भक्त के शब्दों के रूप में लिखा गया है। बड़े प्यार से मैंने दही चूड़ा खाया है। जब मक्खन का दूध निकाल लिया गया है, तो इस बात की चिंता क्यों करें कि पतला दही के बचे हुए हिस्से को कौन पीता है। मैं अनुयायियों से खुश हूं लेकिन जनता से बहुत आहत हूं।
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