Hindi, asked by shalusharma26, 1 year ago

द्धानत तरुओं की अंजलि से झरे पात

कोंपल के मुँदे नयन थर-थर-थर पुलक गात

अगरु धूम लिए घूम रहे सुमन दिग-दिगंत

आए महंत वसंत


खड़ खड़ खड़ताल बजा नाच रही बिसुध हवा

डाल डाल अलि पिक के गायन का बँधा समा

तरु तरु की ध्वजा उठी जय जय का है न अंत

आए महंत वसंत​

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Answered by Adityarj143
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Answer:

I will read it throughly

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