Hindi, asked by meenanitin077, 3 days ago

दो ध्रुवीय विश्व से क्या अभिप्राय ?​

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Answered by shishir303
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दो ध्रुवीय विश्व से अभिप्राय द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उपजे शीत युद्ध के समय विश्व के प्रमुख देशों के दो गुटों में बंटने से है। एक गुट का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था, तो दूसरे गुट का नेतृत्व का सोवियत संघ कर रहा था।

व्याख्या ⦂

✎... दो ध्रुवीय देश इस प्रकार हैं...

अमेरिकी नेतृत्व वाला पूंजीवादी गुट जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, इटली, बेल्जियम, नार्वे, पश्चिमी जर्मनी आदि शामिल थे।

सोवियत संघ के नेतृत्व वाला साम्यवादी गुट जिसमें सोवियत संघ, पोलैंड, पूर्वी जर्मनी, बल्गारिया, रोमानिया आदि शामिल थे।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद उपजे शीत युद्ध के दौरान विश्व दो ध्रुवों में बंट गया था, जिसमें एक गुट पूंजीवाद का समर्थित गुट था तथा दूसरा साम्यवादी देशों का गुट था। इन्हें दो ध्रुवीय देश कहा जाता था। पूंजीवाद समर्थित गठबंधन को पश्चिमी गठबंधन का जाता था, जिसका नेतृत्व अमेरिका कर रहा था। जिसमें अमेरिका के अतिरिक्त ब्रिटेन, नार्वे, फ्रांस, स्पेन, इटली, बेल्जियम, पश्चिमी जर्मनी जैसे देश थे। वहीं अमेरिका के ठीक विपरीत साम्यवादी देशों का एक गुट था, जिसका नेतृत्व सोवियत संघ कर रहा था और इसमें पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश शामिल थे। जिनमें पोलैंड, हंगरी, बलगारिया, रोमानिया, पूर्वी जर्मनी आदि देशों का नाम प्रमुख था।

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