Hindi, asked by AnshKumari, 3 months ago

ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥
क. ठाउँ न रहत निदान का क्या अर्थ है?
ख. कवि ऐसा क्यों कह रहे हैं?​

Answers

Answered by shishir303
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ठाउँ न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।

मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥

क. ठाउँ न रहत निदान का क्या अर्थ है?

➲  ‘ठाउँ न रहत निदान’ का अर्थ है। एक जगह नहीं ठहरना से है।  

ख. कवि ऐसा क्यों कह रहे हैं?​

➲  कवि ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कवि के अनुसार धन-संपत्ति का अभिमान कभी न करना चाहिए क्योंकि धन-संपत्ति चंचल जल की तरह होती है, जो प्रवाहित चंचल जल होता है, वह कभी एक जगह नहीं ठहरता। उसी तरह धन भी कभी किसी के पास स्थायी रूप से नहीं ठहरता। इसलिए संपत्ति पर अभिमान करना व्यर्थ है।

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