थोड़ी धरती पाऊं कविता में कवि बहुत दिनों से क्या सोच रहा था?
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कवि चाहता है कि उसके पास जमीन का एक छोटा टुकड़ा हो जिसपर वह बगीचा लगा सके। उसकी इच्छा है कि उस बगीचे में फूल खिलें, फल लगें और प्यारी खुशबू व्याप्त रहे। कवि चाहता है कि बगीचे के जलाशय में चिड़ियाँ आकर स्नान करें और फिर अपना मधुर संगीत फैलाएँ। लेकिन कवि को शहर में एक इंच भी धरती नहीं मिल पाती है। उसे एक भी पेड़ नहीं मिलता है जो उसे अपना भाई कह सके।
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बहुत दिनों से सोच रहा था, थोड़ी धरती पाऊँ उस धरती में बागबगीचा, जो हो सके लगाऊँ। कहीं नहीं मिल पाई एक पेड़ भी नहीं, कहे जो मुझको अपना भाई। फूल-फलों से लदे बगीचे और अपनी धरती हो। चौपाए घूम रहे हों हो सकता है कहीं सहन में पक्षी झूम रहे हों।
Explanation:
KAVITA KA NAME - thodi dharti pau
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