दिवाली हिन्दूओं का प्रिय त्योहार है | भारत के लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते है |
इसदिन रामचंद्र जी रावण पर विजय पाकर चौदह वर्ष (14) के बाद अयोदया लौटे थे ।
इसे प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है | लोग इस दिन अपने घरों को दीपों से सजाते हैं।
प्रश्न :-
1. दिवाली किनका प्रिय त्योहार है ?
2. भारत के लोग दिवाली कैसे मनाते हैं ?
3. कौन चौदह (14) वर्ष के बाद अयोद्या लौट आये ?
4. दिवाली और किस नाम से कहा जाता है ?
5. दिवाली के दिन लोग क्या करते है ?
Answers
Answer:
धार्मिक मान्यता
कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था.
Explanation:
दीपावली दीपों का त्यौहार है. इस दिन रोशनी का विशेष महत्व होता है. दीपावली के कई मायने हैं. भारत के हर धार्मिक त्यौहार की तरह इस त्यौहार के पीछे भी पुराणिक कथा है. पर तमाम कथाओं और रीति रिवाजों के बावजूद दीपावली ही एक ऐसा पर्व है जिसे हम साल का सबसे बड़ा पर्व कह सकते हैं. यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व होता है. लेकिन भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में कोई भी पर्व किसी खास जाति या धर्म तक तो सीमित रह ही नहीं सकता. आज दीपावली भारत में रहने वाले हर इंसान के लिए एक अहम त्यौहार है.
कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था. उसी परंपरा को आज भी हम मानते हैं और दीपावली पर दिए जलाकर मर्दाया पुरुषोत्तम राम को याद करते हैं.
कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था. उसी परंपरा को आज भी हम मानते हैं और दीपावली पर दिए जलाकर मर्दाया पुरुषोत्तम राम को याद करते हैं.लक्ष्मी पूजन: कलयुग में सांसारिक वस्तुओं और धन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस युग में लक्ष्मी जी ही ऐसी देवी हैं जो अपने भक्तों को संसारिक वस्तुओं से परिपूर्ण करती हैं और धन देती हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं. इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है.
कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था. उसी परंपरा को आज भी हम मानते हैं और दीपावली पर दिए जलाकर मर्दाया पुरुषोत्तम राम को याद करते हैं.लक्ष्मी पूजन: कलयुग में सांसारिक वस्तुओं और धन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस युग में लक्ष्मी जी ही ऐसी देवी हैं जो अपने भक्तों को संसारिक वस्तुओं से परिपूर्ण करती हैं और धन देती हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं. इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है.दीपावली की कथा
कार्तिक अमावस्या की काली रात को दीयों से उजाले में बदलने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री रामचंद्रजी चौदह वर्ष का वनवास काटकर तथा रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे. तब अयोध्यावासियों ने राम के राज्यारोहण पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था. उसी परंपरा को आज भी हम मानते हैं और दीपावली पर दिए जलाकर मर्दाया पुरुषोत्तम राम को याद करते हैं.लक्ष्मी पूजन: कलयुग में सांसारिक वस्तुओं और धन का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस युग में लक्ष्मी जी ही ऐसी देवी हैं जो अपने भक्तों को संसारिक वस्तुओं से परिपूर्ण करती हैं और धन देती हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं. इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है.दीपावली की कथावैसे तो दीपावली मनाने का मुख्य कारण भगवान राम का अयोध्या लौटना था पर मनुष्य जिसमें शायद अब पुरुषोत्तम बनने की हिम्मत रही नहीं वह इस त्यौहार को मात्र लक्ष्मी पूजन का दिन मनाता है. क्यूंकि लक्ष्मी जी धन की देवी हैं और धन आज सबसे ज्यादा महत्व रखता है इसलिए आज ज्यादातर लोग इस पर्व पर मात्र लक्ष्मी जी को ही याद करते हैं.