दिवाली कैसे मनाते हैं इस विषय पर दो मित्रों के बीच संवाद
Answers
जाकिर: अरे भाई राम तुम अपना सामान लेकर कहां चले ?
राम: मैं दीपावली मनाने अपने घर जा रहा हूं ।जाकिर: अच्छा दीपावली कैसे बनाते हैं?
राम: दीपावली की तैयारियां वैसे तो कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है लेकिन मुख्य दिवस पर हम घर को सजाते हैं और घर आंगन में रंगोली बनाते हैं ।
जाकिर: अच्छा और क्या होता है इस दिन ?
राम: इस दिन बच्चे और घर के सभी सदस्य नए कपड़े पहनते हैं और लक्ष्मी गणेश जी का पूजन करते हैं। लक्ष्मी गणेश जी की पूजा के लिए खिल और खिलौने उसके साथ चावल और दाल के लड्डू और अनेक प्रकार की मिठाइयां मंगाई जाती है ।
जाकिर: अच्छा तब तो खूब मजा आता होगा ?
राम: हां ! फिर हम पूजा करने के बाद बम पटाखे जलाते हैं और घर को दिए से सजाते हैं ।
जाकिर: अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा त्यौहार है ।
राम: तो चलो तुम भी मेरे साथ यह त्यौहार मनाने मेरे घर ।
जाकिर: हां मैं चलता लेकिन अभी मुझे कुछ काम है तो मैं अगले साल पक्का तुम्हारे साथ चलूंगा ।
राम: ठीक है फिर मिलते हैं ।
जाकिर: हां बिल्कुल।
Explanation:
Hindi Grammar
Samvaad-Lekhn (Dialogue Letter)संवाद-लेखन
(13) दीपावली की रात में प्रदूषण में वृद्धि विषय पर दो सहेलियों के बीच होने वाले संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
हर्षिता- मैंने कल अख़बार में एक ऐसी खबर पढ़ी कि हैरान रह गई।
विशाखा- तुम किस समाचार की बात कर रही हो?
हर्षिता- मैंने अख़बार में पढ़ा कि केवल दीपावली की रात को ही इतना प्रदूषण हो जाता है, जितना पूरे वर्ष के दौरान होता है।
विशाखा- क्या तुम सच कह रही हो?
हर्षिता- हाँ! हर दीपावली को ऐसा होता है और इसका कारण है- पटाखे।
विशाखा- पटाखे? मैं भी खूब पटाखे जलाती हूँ और मेरी योजना इस बार भी पटाखे जलाने की है।
हर्षिता- लेकिन, मैंने तय कर लिया है कि इस बार मैं पटाखे नहीं जलाऊँगी।
विशाखा- तुम्हारी बात सुनकर, मैंने भी निश्चय कर लिया है कि मैं भी पटाखे नहीं जलाऊँगी। आखिर अपने पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है।
हर्षिता- हाँ, तुमने बिलकुल ठीक कहा।
विशाखा- हमें यह बात सबको बतानी चाहिए, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके।
हर्षिता- शुभ काम में देर कैसी? चलो।
विशाखा- हाँ, हाँ, चलो।