दिवाली त्योहार में फोड़े गए पटाखों के कारण वातावरण में बढ़े प्रदूषण पर चर्चा करते हुए एक छात्र और छात्रा के बीच हुए संवाद को 30-40 शब्दों में लिखिए ।
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दिवाली उत्सव का समय होता है, यह वह समय होता है जब हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं। इस पर्व पर चारो ओर मनोरंजन और प्रेम का माहौल होता है। लेकिन इन खुशियों के बीच एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात भूल जाते हैं कि उत्सव के नाम पर अंधाधुंध पटाखे जलाना हमारी माँ तुल्य प्रकृति के लिए कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न करता है। यही कारण है कि दिवाली के दौरान और इसके पश्चात प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ जाता है।
दिवाली का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह हर वर्ष बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान मोमबत्ती तथा दिपों द्वारा घरों, बजारों तथा दुकानों को सजाना, रंगोली बनाना, मिठाई तैयार करना। दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना, तोहफे भेंट करना, लक्ष्मी तथा गणेश जी की पूजा करना और पटाखे जालाना आदि दिवाली के त्योहार के प्रमुख भाग हैं।
यह सारे कार्य सदियों से हमारे परंपरा का हिस्सा रहे हैं, परन्तु पटाखे जलाने का प्रचलन काफी बाद में शुरु हुआ। भले ही यह दिवाली उत्सव के खुशी को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता हो, पर यह अच्छा कार्य नही है क्योंकि इसके कारण दिवाली के त्योहार की खुबसुरती छिन जाती और आलोचना के कारण इस त्योहार के साख पर भी बट्टा लगता है। इसके साथ ही पटाखों के द्वारा पृथ्वी के प्रदूषण स्तर में भी वृद्धि होती है।
1.वायु प्रदूषण
दीपावली के त्योहार के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाता है। पटाखों के जलने के कारण निकलने वाले धुएँ के कारण वायु काफी प्रदूषित हो जाती है। जिससे लोगों को सांस लेने में भी काफी दिक्कत होती है। भारी मात्रा में पटाखों को जलाने का यह प्रभाव दिवाली के कई दिनों बाद तक बना रहता हैं। जिसके कारण कई सारी बीमारिया उत्पन्न होती हैं और इसके कारण फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
2.भूमि प्रदूषण
जले हुए पटाखों के बचे हुए टुकड़ो के कारण भूमि प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न होती है और इन्हे साफ करने में कई दिन समय लगता है। इनमें से कई टुकड़े नान बायोडिग्रेडिल होते है और इसलिए इनका निस्तारण करना इतना आसान नही होता है तथा समय बितने के साथ ही यह और भी जहरीले होते जाते हैं और भूमि प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि करते हैं।
3.ध्वनि प्रदूषण
दीपावली के दौरान ध्वनि प्रदूषण अपने चरम पर होता हैं। पटाखे सिर्फ उजाला ही नही बिखरते है बल्कि इसके साथ ही वह काफी मात्रा में धुआ और ध्वनि प्रदूषण भी उत्पन्न करते हैं। जोकि मुख्यतः बुजुर्गों, विद्यार्थियों, जानवरों और बिमार लोगों के लिए कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न करता है। पटाखों की तेज आवाजे काफी परेशान करने वाली होती हैं। पटाखों के तेज धमाकों के वजह से जानवर इससे ज्यादा बुरे तरीके से प्रभावित होते हैं।
निष्कर्ष
हमारे द्वारा पटाखे जलाने के कारण पर्यावरण पर कई गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं। इसके साथ ही यह पृथ्वी के जीवन को भी प्रभावित कर रहा है। यह काफी विडंबनीय ही है कि लोग पटाखों के इन दुष्प्रभावों को जानने के बाद भी इनका उपयोग करते हैं। यह वह समय है, जब हमें अपने आनंद के लिए पटाखे जलाने को त्यागकर बड़े स्तर पर इसके दुष्प्रभावों के विषय में सोचने की आवश्यकता हैं।
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