Hindi, asked by HydroPowerDD, 10 months ago

द्विम्नद्विखित गद्ाांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्ोां के उत्तर दीद्विए- मैं नह ीं जानता इस सींन्यास ने कभ सोचा था या नह ीं कक उसक मृत्यु पर कोई रोएगा। लेककन उस क्षण रोने वालोीं क कम नह ीं थ । (नम आँखोीं को कगनना स्याह फैलाना है। इस तरह हमारे ब च से वह चला गया जो हममें से सबसे अकिक छायादार, फल-फूल गींि से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊींचाई पर, मानव य करुणा क कदव्य चमक में लहलहाता खडा था। कजसक स्मृकत हम सबके मन में जो उनके कनकट थे ककस यज्ञ क पकवत्र आग क ऑच क तरह आज वन बन रहेग । मैं उस पकवत्र ज्योकत क याद में श्रद्धानत हैं। (क) अथथ स्पष्ट क कजए- ‘नम आँखोीं को कगनना स्याह फैलाना है। (ख) “सबसे अकिक छायादार, फल-फूल गींि से भरा...' ककसे और क्ोीं कहा गया है? (ग) यज्ञ क आग क क्ा कवशेषता होत है? सींन्यास क स्मृकत क तुलना इस आग क ‘आँच' से क्ोीं क गई है।

Answers

Answered by aartikumawat8131
1

Jyoti

I can don't understand

Answered by dangarraj600
0

Answer:

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