Hindi, asked by mahi1862, 9 months ago

दीवानों की हस्ती भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित कविता जिसमें कवि एक स्थान से दूसरे स्थान तक विचरण करने की बात करता है जो आज के इस लोक डाउन में संभव नहीं है। वर्तमान काल को ध्यान में रखते हुए स्वरचित कविता लिखिए।
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Answered by shashid394
8

Answer:

amarpriya3006 Virtuoso

Answer:एक गठरी शीश पर है,

देह दुर्बल पाँव भारी,

काँख मुन्ना को दबाए,

एक उँगली थाम मुन्नी,

साथ चलती जा रही है,

पेट चूहे कूदते हैं,

तैरते हैं प्रश्न कितने,

व्योम उर वातावरण में ।

शाम सुबहो-दोपहर को,

जिन घरों में माँज करके,

नित्य बर्तन वो जुठीले,

पालती परिवार अपना,

एक दिन उसके अचानक,

शब्द कानों में पड़े थे,

मेम साहब कह रही थीं,

'आज से आना नहीं घर,

और अपनी सेलरी ले ।'

एक झटका खा चुकी थी,

दूसरा करता प्रतीक्षा,

लौट आई रूम अपने,

द्वार पर गृह स्वामिनी ने,

और दी चेतावनी इक,

'रूम को खाली करो तुम,

दो किराया शेष सारा ।'

सेलरी पल्लू बँधी जो,

सामने सारी दिया रख,

रिक्त राशन के कनस्तर,

कुछ जरूरी प्रश्र करते,

एक पैसा टेट है क्या?,

और उत्पादक नहीं हम ।

छोड़ लघु जोड़ी गृहस्थी,

बाँधकर सामान थोड़ा,

चल रही है राह पैदल ।

जिन करों से ले रहे थे,

कुछ दिनों पहले पड़ोसी,

दूध शक्कर चाय पत्ती,

आज कर ठिठके सकुचते वो,

ले रहे जो दान भोजन,

नीतियाँ सारे नियम भी,

सामने बौने क्षुधा के,

हो गए नत स्वाभिमानी,

पेट की जो आग धधकी,

इक महीने पूर्व पति जो,

छोड़कर दामन चला था,

भाग्य आगे ठोंककर खम,

ली चुनौती मान उसने,

ठोकरें लेकिन चतुर्दिक,

आज उसको मिल रही हैं,

पर कहाँ मानी पराजय,

पथ हजारों मील लम्बा,

आस ले मन जा रही है,

बाल भी फुसला रही है ।

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