दीवानों की हस्ती ' इस कविता में कवि क्या छककर आगे बढ़ता है ?
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इस प्रकार कवि कह रहे हैं कि एक जगह टिककर रहना उनका स्वभाव नहीं है, उन्हें घूमते रहना पसंद है। ... दीवानों की हस्ती भावार्थ : दीवानों की हस्ती कविता में आगे कवि कहते हैं कि मुझसे मत पूछो में कहाँ जा रहा हूँ। मुझे तो बस चलते रहना है, इसीलिए मैं चले जा रहा हूँ।
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दीवानों की हस्ती ' इस कविता में कवि सुख दुख के घुंट छककर आगे बढ़ता है।
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