Hindi, asked by harmandeep9sidhu, 6 months ago

दीवानों की हस्ती कविता में आए बनकर देश कहां चले​

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Answered by satyendrasingh31216
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Answer:

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले

मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले

आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी

सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले

किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले

जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चलेदो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ रोए

छक कर सुख-दुःख के घूँटों को, हम एक भाव से पिए चले

हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वछन्द लुटाकर प्यार चले

हम एक निशानी उर पर, ले असफलता का भार चलेहम मान रहित, अपमान रहित, जी भर कर खुलकर खेल चुके

हम हँसते हँसते आज यहाँ, प्राणों की बाजी हार चले

अब अपना और पराया क्या, आबाद रहें रुकने वाले

हम स्वयं बंधे थे और स्वयं, हम अपने बन्धन तोड़ चले

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