दीवानों की हस्ती कविता मे भीख मांगो से कवि का क्या तात्पर्य है
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यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला जिसकी वह आशा करता है। कवि के लिए यह उसकी असफलता है। इसलिए वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है। अत: कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा।
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हम दीवानों की क्या हस्ती” कविता का भावार्थ
इस कविता में कवि मस्तमौला स्वभाव और बेफिक्री वाली जिंदगी को रूपांकित किया है। सुख हो या दुख, हर स्थिति में एक समान ही रहना और सब जगह प्रेम बांटते जाना ही दीवानों का स्वभाव होता है।
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