Hindi, asked by monicaanand1159, 8 months ago

दीवानों की हस्ती' कविता में कवि असफलता का भार कहाँ रखते हैं ?

Answers

Answered by giriaishik123
4

Answer:

:

दीवानों की हस्ती अर्थ सहित – Deewano Ki Hasti Class 8 Summary

हम दीवानों की क्या हस्ती,

हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,

मस्ती का आलम साथ चला,

हम धूल उड़ाते जहाँ चले।

दीवानों की हस्ती भावार्थ : दीवानों की हस्ती कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि दीवानों की कोई हस्ती नहीं होती। अर्थात, वो इस घमंड में नहीं रहते कि वो बहुत बड़े आदमी हैं और ना ही उन्हें किसी चीज़ की कमी का कोई मलाल होता है। कवि ख़ुद भी एक दीवाने हैं और बस अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं। उनकी इस मस्ती और ख़ुशी के आगे ग़म टिक नहीं पाता है और धूल की तरह उड़न-छू हो जाता है।

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