दीवानों के जीवन में आंसू और उल्लास का विरोधाभास साथ साथ क्यों है?
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दीवानों के जीवन में आंसू और उल्लास का विरोधाभास साथ साथ क्यों है?
यह प्रश्न दीवानों की हस्ती कविता से लिया गया है| दीवानों की हस्ती कविता भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखी गई है|
दीवानों के जीवन में आंसू और उल्लास का विरोधाभास साथ-साथ इसलिए है क्योंकि दीवाने जहाँ भी जाते है मस्ती करते है और वहाँ पर उल्लास का वातावरण छा जाता है| दीवाने जब अभावग्रस्त और खुशियों से वंचित लोगों से मिलते है तब जीवन में आंसू आ जाते है वह उन लोगों को देखकर दुखी हो जाते है|
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