Hindi, asked by madhumanmohan52, 8 months ago

दीवाने लोग दुनिया को क्या बांटते हैं ?
of
-​

Answers

Answered by sanjay047
1

Explanation:

दीवानों की हस्ती का भावार्थ

काव्यांश 1.

हम दीवानों की क्या हस्ती,

हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,

मस्ती का आलम साथ चला,

हम धूल उड़ाते जहाँ चले।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हम जैसे मस्त-मौला लोगों का स्वभाव या व्यक्तित्व कुछ अलग , कुछ अनोखा ही होता हैं। हमारा कोई निश्चित ठौर-ठिकाना भी नहीं होता है। हम आज इस जगह पर हैं तो कल किसी और स्थान की तरफ चले जाते हैं। अर्थात हम कभी भी एक स्थान पर टिके नहीं रहते हैं।

लेकिन हमारा स्वभाव कुछ ऐसा होता है कि हम बेफिक्र होकर जहां भी चले जाते हैं। हमारे साथ साथ हमारा खुशनुमा स्वभाव व लोगों के सुखों व दुखों को बांटने की आदत भी हमारे साथ जाती हैं। और फिर अपने प्रसन्न व फक़्कड़ स्वभाव से हम उस जगह पर भी खुशियाँ बिखेर देते हैं ।

काव्यांश 2.

आए बन कर उल्लास अभी,

आँसू बन कर बह चले अभी,

सब कहते ही रह गए, अरे,

तुम कैसे आए, कहाँ चले

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि वो जहां भी जाते हैं। अपने मस्त-मौला स्वभाव के कारण वहां के माहौल को खुशनुमा बना देते हैं। साथ में वो लोगों के दुखों को बांटने का भी प्रयास करते हैं। इसलिए उनके आ जाने से लोग प्रसन्न हो जाते हैं।और उनके चले जाने पर लोग दुखी हो जाते हैं जिस कारण उनके आँखों से आंसू निकल आते हैं।

ऐसे लोगों के साथ रहने पर लोगों को समय कैसे निकल (बीत) गया। इस बात का पता ही नहीं चलता हैं।और कवि जैसे मस्त मौला स्वभाव के लोग एक स्थान पर अधिक समय तक टिक कर नहीं रह सकते हैं। और अपने स्वभाव के अनुरूप वो निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। इसीलिए लोग कवि से कहते हैं कि आप तो अभी-अभी ही आए थे और अभी जाने भी लगे हैं।

KEEP INSPIRING ME

KEEP INSPIRING ME

हिन्दी विषय

उत्तराखंड के संबन्धित विषय

देश दुनिया

कविता कहानी कोट्स

अन्य विषय

GUST POST

APRIL 2021

M T W T F S S

1 2 3 4

5 6 7 8 9 10 11

12 13 14 15 16 17 18

19 20 21 22 23 24 25

26 27 28 29 30

« Mar

Deewano Ki Hasti Class 8 Explanation:दीवानों की हस्ती

POSTED BYMEENA BISHT NOVEMBER 30, 2020 IN POSTED INHINDI CLASS 8 0

Deewano Ki Hasti Class 8 ,

Deewano Ki Hasti Class 8 Hindi Basant 3 , Summary And Explanation Of Deewano Ki Hasti , Question And Answer Of Deewano Ki Hasti Class 8 , दीवानों की हस्ती कक्षा 8 हिंदी वसंत-3 , दीवानों की हस्ती कविता का भावार्थ , दीवानों की हस्ती पाठ के प्रश्न व उनके उत्तर।

कविता का सार

(Summary Of Deewano ki Hasti)

इस कविता के कवि “भगवती चरण वर्मा जी” है।

इस कविता में कवि ने अपने मस्त-मौला और खुशमिजाज स्वभाव के बारे में बात कर लोगों को एक स्पष्ट संदेश दिया हैं कि इस सुख , दुःख भरी दुनिया में मनुष्य को कैसे जीना चाहिए। और कैसे अपने अंदर सकारात्मक विचारों को बनाये रख कर एक प्रसन्न व आनंदमय जीवन जीया जा सकता हैं।

सुख और दुख जीवन रूपी सिक्के के दो पहलू हैं। इसीलिए उन से विचलित नहीं होना चाहिए। सुख और दुख को एक समान भाव से देखते हुए जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए। लोगों से उनकी अच्छी बातें ग्रहण करनी चाहिए। और लोगों को भी अपने अंदर की कुछ अच्छी बातें सिखानी चाहिए।

कवि अपने मस्त-मौला स्वभाव के कारण एक स्थान पर टिक नहीं पाते हैं। इसीलिए एक जगह से दूसरी जगह जाते रहते हैं। लेकिन जहाँ पर भी जाते हैं वहाँ लोगों के सुख-दुख बाँटकर माहौल को खुशनुमा बनाने की कोशिश करते हैं । दुनिया के सभी लोगों को अपना समझ कर राग-द्वेष से ऊपर उठकर , सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं। इसीलिए उनके जाने के बाद लोग उनको याद करते हैं।

कवि चलते-चलते भी लोगों से कुछ अच्छी व ज्ञान की बातें सीखते हैं। और कुछ सच्ची बातें उनको भी सिखाते हैं।कवि के अनुसार इस दुनिया में लोग प्रेम के मामले में बहुत गरीब हो चुके हैं। लेकिन वो अपनी प्रेम की दौलत को बेफिक्र होकर लोगों में खूब लुटाते हैं। जीवन चलते रहने का नाम है। इसीलिए सुख दुख से विचलित हुए बैगर जीवन में सदैव आगे बढ़ते रहने में ही समझदारी है।

कवि अपनी मर्जी से रिश्त नातों , स्वार्थ , अपने पराये , माया मोह आदि के बंधनों तोड़ कर जीवन के सफर में आगे बढ़ चुके हैं। अर्थात उन्होंने संसार के सभी बंधनों , रिश्ते नातों , अपना-पराया , राग-द्वेष के बंधनों से मुक्ति पा ली है। वो “बसुधैवकुटंबकुंम यानि सारी दुनिया ही मेरा परिवार हैं और इसमें रहने वाले सभी मेरे अपने हैं” की भावना मन में रख कर जीते हैं।

Explanation Of Deewano ki Hasti

दीवानों की हस्ती का भावार्थ

काव्यांश 1.

हम दीवानों की क्या हस्ती,

हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले,

मस्ती का आलम साथ चला,

हम धूल उड़ाते जहाँ चले।

भावार्थ –

उपरोक्त पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हम जैसे मस्त-मौला लोगों का स्वभाव या व्यक्तित्व कुछ अलग , कुछ अनोखा ही होता हैं। हमारा कोई निश्चित ठौर-ठिकाना भी नहीं होता है। हम आज इस जगह पर हैं तो कल किसी और स्थान की तरफ चले जाते हैं। अर्थात हम कभी भी एक स्थान पर टिके नहीं रहते हैं।

लेकिन हमारा स्वभाव कुछ ऐसा होता है कि हम बेफिक्र होकर जहां भी चले जाते हैं। हमारे साथ साथ हमारा खुशनुमा स्वभाव व लोगों के सुखों व दुखों को बांटने की आदत भी हमारे साथ जाती हैं। और फिर अपने प्रसन्न व फक़्कड़ स्वभाव से हम उस जगह पर भी खुशियाँ बिखेर देते हैं ।

Similar questions